रेलवे स्टेशन के 450 करोड़ में कुछ कम करके भी बीकानेर के दिल कोटगेट के ब्लॉकेज की ‘बाईपास‘ कर देते तो अहसान मानता शहर

साजन आया हे सखि कांईं मनवार करां
थाळ भरियो गज मोतियां, ऊपर नैण धरां..

‘पधारो म्हारे देस‘ की मीठी मनुहार करने वाले बीकानेर शहर में आपका स्वागत है, मोदी जी। आप सौगातों का टोकरा भरकर ला रहे हैं, यह प्रदेश फूला नहीं समा रहा। इस टोकरे में 24 हजार 300 करोड़ रूपए से अधिक की योजनाओं के लोकार्पण-शिलान्यास से जुड़े गुलदस्ते भरे हैं। इनमें अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेस-वे, ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर, बीकानेर-भिवाड़ी लाइन, ईएसआईसी हॉस्पिटल शामिल हैं। आपका आभार जताने बीकानेर संभागभर के नागरिक नौरंगदेसर पहुंच रहे हैं।


खुशी में झूम रहे बादल:
सियाळो खाटू भलो, ऊनाळो अजमेर
मारवाड़ नित रो भलो, सावण बीकानेर..
बीकानेर में सबसे शानदार मौसम सावण का माना जाता है। पिछले कई सालों से सावन सूखा-सा रहता है लेकिन इस बार बादल झूमकर बरस रह हैं। मानो प्रकृति भी प्रधानमंत्री के आगमन की खुशी जलबूंदो के रूप मे जता रही है। बादल झूम-झूमकर आ रहे हैं। मेघ मल्हार गा रहे हैं। इससे हजारों की तादाद में घंटों तक प्रधानमंत्री जी का इंतजार करने, भाषण सुनने पहुंच रहे लोगों को थोड़ी राहत भी मिलेगी। हालांकि थोड़ी चिंता इस मौसम में प्लेन लैंडिंग से लेकर हैलिकॉप्टर के जरिये सभास्थल तक पहुंचने की भी है। हालांकि अब मौसम विभाग के अलर्ट ने अगले तीन धंटों तक मौसम साफ रहने का अनुमान जताया है। ऐसे में चिंता थोड़ी कम हो रही है।


लक्ष्मी मित्तल से लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज तक की तीन रिफाइनरी इसी रोड पर:
मोदीजी आज जिन योजनाओं का लोकार्पण शिलान्यास कर रहे हैं वे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आधारभूत ढांचे का विकास करने से औद्योगिक आर्थिक विकास भी होगा। मसलन जिस अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेस वे का लोकार्पण कर रहे हैं वह मूलतः देश की तीन बड़ी रिफाइनरी को जोड़ने के साथ ही इकोनोमिक कॉरिडोर बनाने वाला साबित हो सकता है। इन तीन रिफाइनरी में नवरत्नों में शामिल हुई भटिंडा की एचएमईएल पहली है जिसके प्रमोटर हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉपरेशन के साथ ही लक्ष्मी मित्तल परिवार के मित्तल एनर्जी इन्वेस्टमेंट शामिल है। राजस्थान के बाड़मेर स्थित पचपदरा की एचपीसीएल रिफाइनरी और जामनगर में रिलायंस इंडस्ट्रीज की सबसे बड़ी रिफाइनरी शामिल है।


चार राज्यों से गुजरने वाली इस रोड की कुल लागत 80 हजार करोड़ बताई जा रही है। इसका लगभग 50 फीसदी हिस्सा राजस्थान से गुजरता है जो मोटे तौर पर हनुमानगढ़ के जाखड़वाली से शुरू होकर जालोर के खेतलवास तक है। मतलब यह कि बीकानेर में हो रहा उद्घाटन राजस्थान खंड का है जो 80 हजार करोड़ की लागत में से 50 फीसदी रास्ता है। जिस खंड का प्रधानमंत्री लोकार्पण करने जा रहें हैं उस पर खर्च आया है लगभग 11 हजार 125 हजार करोड़ रूपए। चुनाव वाले इस राज्य के बीच में से अधिकांश हिस्सा गुजरता है इसलिए यहां उद्घाटन तो बनता है। इससे बीकानेर या राजस्थान को कितना लाभ होगा यह भविष्य बताएगा।


ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर:
ग्रीन एनर्जी के लिए बने अंतरराज्य ट्रांसमिशन लाइन के पहले चरण का यहां लोकार्पण हो रहा है। इसकी लागत 10,950 करोड़ रूपए हैं। इस ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर से लगभग 6 गीगावॉट रिन्युबएल एनर्जी संकलित होगी। जाहिर है राजस्थान और उसमंे खासतौर पर बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर सहित पश्चिमी राजस्थान का बड़ा हिस्सा सोलर हब बन रहा है। देश में सबसे ज्यादा उत्पादन यहीं हो रहा है। ऐसे में यहां की बिजली दूसरे राज्यों में ट्रांसफर हो सकेगी। यहां लगी अधिकांश सोलर कंपनियां दूसरे प्रदेशो की हैं। अडानी, रिलायंस, टाटा जैसे बड़े प्लेयर भी इस मैदान में हैं। वे यहां बिजली बनाएंगे। एकत्रित करेंगे। जहां अच्छे दाम मिलेंगे, वहां बेचेंगे। यह पूरी बिजली एकत्रित होगी बनासकांठा गुजरात में जहां इसका मुख्यालय बनाया गया है। मतलब यह कि राजस्थान महज संग्रहण केन्द्र है। इस परियोजना का भी स्थानीय और प्रदेश स्तर पर आम लोगों को कितना लाभ होगा, क्या उन्हे बिजली की दरो में रियायत मिलेगी आदि सवाल यूं ही खड़े हैं। वैसे देश के लिए यह बड़ा काम हो रहा है जिसमे बड़ी कंपनियां अपना योगदान दे रही है। हमारी जमीन उपयोग हो रही है यही हमारे लिए सौभाग्य की बात है। आपका स्वागत है मोदीजी।


30 बैड का ईएसआईसी हॉस्पिटल:
पिछली सरकार के कार्यकाल में इस हॉस्पिटल का शिलान्यास हुआ था। कहा था-100 बैड का बनेगा। अब मोदी सरकार के इस कार्यकाल के आखिरी साल में इसका उद्घाटन कर रहे हैं। अब यह 30 बैड का बना है। कहा जा रहा है, 100 बैड तक विस्तारित हो जाएगा। श्रमधन का मान-सम्मान करने वाले मोदीजी के कार्यकाल में लगभग छह साल में बने इस हॉस्पिटल के लिए आभार है। उम्मीद है यह श्रमिकों-कामगारों के लिए उपयोगी होगा और यहां स्थायी डॉक्टर भी नियुक्त होंगे।
बहुत खूबसूरत लग रही है रेलवे स्टेशन की नई फोटो:


बीकानेर के रियासतकालीन रेलवे स्टेशन को नए हैरिटेज लुक में विकसित करने के लिए 450 करोड़ रूपए की योजना मोदी सरकार ने दी है। कुछ खूबसूरत काल्पनिक डिजाइन भी डीआरएम से लेकर केन्द्रीय मंत्री तक ने जारी किए हैं जिसमें स्टेशन के दोनों और भीड़भरी सड़कों की बजाय शांत-सुंदर, हरा-भरा क्षेत्र बताया गया है। रेलवे लाइन के ऊपर पुल जैसी आकृति में सुविधाएं विकसित की गई है। चार फ्लोर से अधिक ऊंचाई दिख रही है। ऐसा हो जाए तो यहां यात्रियों को तो अच्छा लगेगा ही, लोग इस स्टेशन के सामने सेल्फी लेने भी जाएंगे। वैसे बीकानेर का रेलवे स्टेशन अब तक मोटे तोर पर ‘नो प्रॉब्लम‘ स्टेशन की तरह लगा है जहां यात्रियों ने ज्यादा असुविधाओं का जिक्र आज तक नहीं किया है। महज, एक्सकेलेटर बंद हो जाना, नई लगी लिफ्ट को यात्रियों की बजाय सामान ढोने वाले वैंडर्स के लिए अधिक उपयोग होना जैसी छोटी-मोटी शिकायतों को छोड़ दें तो। अब यह स्टेशन बड़ा और नया होगा। सुविधाजनक होगा। खूबसूरत होगा तो सभी को बहुत अच्छा लगेगा। इसके लिए वह बीकानेर दिल से आभारी है जिसे महाराजा गंगासिंह देश के सबसे पहले रेल से जुड़े शहरों मे शामिल कर चुके थे। रेल से बाकी देश का जुड़ाव अब धीरे-धीरे बढ़ रहा है और इलेक्ट्रीफिकेशन का काम भी यहां अंतिम चरण में हैं।
बस, थोड़ा-सा बीकानेर के दिल में भी झांक लेते मोदीजी:
जिस रेलवे स्टेशन को 450 करोड़ रूपए लगाकर मोदीजी नया और खूबसूरत बना रहे हैं और फोटो में जिसके आस-पास शांत, सुहाना वातावरण दिख रहा है, बस, एक बार उसके आस-पास भी झांक लेते मोदीजी। इसके बिलकुल पास में बीकानेर का कोटगेट है जिसे इस शहर का दिल कहते हैं।

इस दिल के ऊपर से दिनभर गाड़ियां गुजरती हैं। दोनों तरफ लोहे के खंबे (क्रॉसिंग गेट) दिल से जुड़ने वाली धमनियों का ब्लड सर्कुलेशन (ट्रैफिक) रोक देते हैं। धड़कन रह-रहकर ठहर जाती है। गाड़ी गुजरने के बाद ब्लॉकेज खत्म होते है फिर बन जाते हैं। थोड़ी-सी इसकी भी एंजियोग्राफी कर लेते मोदी जी। एलिवेटेड जैसा स्टेंट लगाने से काम निकलता तो वह लगाते। ‘बाईपास‘ सर्जरी के बगैर काम नहीं हो सकता तो वह भी करने में आप तो सक्षम है ही। लगता है बीकानेर के दिल का हाल आपके ‘जूनियर्स‘ ने पूरी तरह आप तक पहुंचाया ही नहीं। वर्ना भले ही आप रेलवे स्टेशन के 450 करोड़ में से एक फ्लोर कम करके भी पहले इस शहर की नब्ज को सही रखने की कोशिश जरूर करते।
सावन में इस शिवभक्त से उम्मीद तो रखती है ‘छोटी काशी‘:
शिवभक्त मोदी ने काशी विश्वनाथ तक पहुंच सुगम बनाने के लिए शहर के पुराने हिस्से को खराब हो चुके अंगो की तरह काटकर वहां नया-भव्य ‘बाईपास कॉरिडोर‘ बना दिया था। बीकानेर को भी देशभर में छोटी-काशी कहा जाता है। मोदीजी इस छोटीकाशी में सावन के ऐसे महीने में आ रहे हैं जिसमें अधिक मास भी है। ऐसा भी नहीं है कि उनके प्रतिनिधि बीकानेर के इस हाल से नावाकिफ है। वे तो यहां फंस रहे लोगो को सुगम रास्ता दिलाने के लिए बनारस मेें बनाए जा रहे रोप-वे जैसे ‘उड़न खटोलों‘ की उम्मीद भी जगा चुके हैं। ऐसे में सावन में आ रहे शिवभक्त मोदी से ‘छोटी काशी‘ यह छोटी-सी उम्मीद तो कर ही सकती है।
वो आए हमारे घर खुदा की कुदरत है
कभी हम उनको, कभी अपने घर को देखते हैं..

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