सचिन के बयान ने पलट दी भाजपा की बाजी, एकजुट कांग्रेस अब बढायेगी भाजपा की समस्या

पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अपने दो दिन पहले दिये साक्षात्कार में साफ साफ कहा कि कांग्रेस एकजुट है और पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने इन चार सालों में जनता की पूरी सेवा की है और विकास के नये प्रतिमान स्थापित किये हैं। उनको लेकर ही हम जनता के बीच जायेंगे और निश्चित रूप से सरकार बनायेंगे। सचिन ने ये भी कहा कि परंपरा इस बार टूटेगी क्योंकि हमने काम किया है और हम एकजुट हैं, इसी वजह से सरकार रिपीट होगी।


सचिन ने ये इंटरव्यू एएनआई को दिया था। उनके इस इंटरव्यू के आते ही राजस्थान की राजनीति में एक भूचाल सा आ गया। कई लोग सकते में आ गये, क्योंकि उनके लगाये सारे कयासों को पायलट ने एक ही साक्षात्कार से ध्वस्त कर दिया। पायलट के बयान ने भाजपा की तो पूरी की पूरी बाजी ही पलट दी। वो गहलोत व पायलट की टकराहट के बीच राज तक पहुंचने के लिए अपना सुगम रास्ता तलाश रही थी। उसे बहुत निराशा हाथ लगी। भाजपा नेता कयास लगा रहे थे कि इन दोनों की आपसी खींचतान का फायदा उठाकर वे चुनाव जीत लेंगे। मगर पायलट ने स्पष्ट कर दिया कि दिल्ली बैठक में हुई सुलह फौरी नहीं थी, मुक्कमिल थी। कर्नाटक की तर्ज पर यहां भी कांग्रेस और चुनाव, ये ही दो लक्ष्य है। व्यक्तिगत दुराव इसके सामने कोई मायने नहीं रखता। पायलट ही दुराव के इस बवंडर को दूर हटा सकते थे और उन्होंने इस साक्षात्कार के जरिये बवंडर को न केवल हटाया अपितु दूर भी भगाया है।


एकजुट कांग्रेस अब भाजपा की समस्या बढायेगी। क्योंकि भाजपा भीतर से अभी तक एक नहीं हो पाई है। बड़े नेताओं के बीच की दूरियां अब तो जनता के सामने खुलकर आने लगी है। वसुंधरा फैक्टर पर पार्टी अभी तक कोई निर्णय ही नहीं कर पाई है, जबकि वे राज्य की सबसे कद्दावर नेता है। मगर प्रदेश के अन्य बड़े नेताओं और उनके बीच की दूरियां अब तो चर्चा बन गई है। उदयपुर की सभा में भाषण के लिए न बुलाना और बीकानेर की सभा में भाषण न दिलवाना इस बात को अभिव्यक्त करता है कि उनको लेकर पार्टी में दूरियां बढ़ी है। उनके समर्थक बाबूसिंह से बेलासर में माइक छिनने की घटना भी इसकी कड़ी है। अगर भाजपा ने राज्य के अपने नेताओं के मध्य की दूरियां मिटा सबको एक नहीं किया तो एकजुट कांग्रेस उसके लिए बड़ी परेशानी खड़ी करेगी, ये तय है।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘

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