कवि- गीतकार गौरीशंकर ‘अरुण’ की जयंती पर सुनील गज्जाणी की कृतियों का विमोचन

आरएनई, बीकानेर। कवि-गीतकार स्मृति शेष गौरीशंकर आचार्य ‘अरुण’ की 90 वीं जयंती पर अरुण प्रकाशन कार्यालय में स्मरण सभा एवं पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर बीकानेर के अनेक रचनाधर्मियों ने उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस अवसर कवि कथाकार सुनील गज्जाणी की बाल साहित्य की दो पुस्तकों ‘एक वन दो दो राजा’ और ‘चूहे की बारात, बाराती बिल्ली मौसी’ का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में डॉ. कृष्णा आचार्य ने कहा कि बीकानेर नगर अपने पूर्वज लेखकों की परम्पराओं का निर्वहन आज भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि अरुण एक बहुआयामी रचनाकार थे, उनका साहित्य समाज का मार्गदर्शन सदैव करता रहेगा। डॉ. नमामी शंकर आचार्य ने कहा कि आज हमें बाल साहित्य के प्रति गंभीरतापूर्वक कार्य करने की आवश्यकता है, सुनील गज्जाणी बाल मनोविज्ञान को समझकर उनमें रुचि जागृत करने वाले बाल नाटकों और कविताओं का सृजन किया है।


राजस्थानी के कवि विप्लव व्यास ने कहा स्मृति शेष कवि अरुण की पीढ़ी ने सदैव बीकानेर के युवा सृजन को प्रोत्साहित किया। इससे पूर्व शायर, कथाकार, रंगकर्मी इरशाद अज़ीज़ ने अरुण के व्यक्तित्व- कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे सच्चे अर्थों में शब्द ऋषि थे, उन्होंने अपने समय की विसंगतियों पर बेबाकी से चोट की। रंगकर्मी सुरेश आचार्य ने सुनील गज्जाणी के बाल नाट्य सृजन पर अपनी बात रखते हुए कहा कि ये नाटक बच्चों को आकर्षित करते हैं और बच्चों को पढ़ने की ओर प्रवृत करते हैं।
कथाकार- नाटककार गिरीश पुरोहित ने लोकार्पित पुस्तकों पर बतौर मुख्य वक्ता बोलते हुए कहा कि गज्जाणी की बाल कविताएं बच्चों के लिए एक रुचिकर वातावरण का निर्माण करती हैं। उन्होंने कहा कि बाल रंगमंच की स्थापना में ‘एक वन दो दो राजा’ संग्रह के नाटक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।


विमोचित कृतियों के लेखक सुनील गज्जाणी ने कहा कि कवि-गीतकार गौरीशंकर आचार्य अरुण ने साहित्य की सभी विधाओं में सृजन के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि बाल साहित्य रचते समय लेखक को बच्चों की मनोदशा को अपने भीतर उतारना पड़ता है।
कवि-पत्रकार संजय आचार्य वरुण ने कहा कि स्तरीय साहित्य को समाज के समक्ष लाना किसी भी दिवंगत साहित्यकार को सच्ची श्रद्धांजलि होती है। उन्होंने कहा कि सुनील गज्जाणी ने नई पीढ़ी संस्कारित करने वाली रचनाओं से कवि अरुण की परम्परा को ही आगे बढ़ाया है।


इस अवसर पर संगीतकर्मी सुशील छंगाणी, पत्रकार राजेश ओझा, कथाकार संजय पणिया, उद्घोषक चंद्रशेखर जोशी, कवि अजीत राज, कवि बाबूलाल छंगाणी, कवि जुगल किशोर पुरोहित और कैलाश टाक ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में सुनील गज्जाणी का सम्मान किया गया। पत्रकार ललित आचार्य ने आभार व्यक्त किया।

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