चुनावी चाय ढाई गुना महंगी: नेताओं ने कहा-रेट ठीक नहीं, कुछ कम करो

टैक्सी पर तकरार, बूंदी पर बहस, कुर्सी भी सस्ती नहीं
कांग्रेस सहमत नहीं रेट से, कलेक्टर को पत्र दिया-बाजार में सर्वे करो, रेट पर पुनर्विचार करो

मोहम्मद वसीम राजा

आरएनई, बीकानेर।
वर्ष 2019 में एक कप चाय चार रूपए की थी। चार साल में यह ढाई गुना महंगी होकर 10 रूपए प्रति कप तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। यह खुदरा मूल्य सूचकांक से निकला महंगाई का आंकड़ा नहीं वरन चुनाव में नेताओ की ओर से कार्यकर्ताओं-समर्थकों को पिलाई जाने वाली चाय की रेट है। रेट का यह अनुमान प्रशासन यानी निर्वाचन अधिकारी ने लगाया है लेकिन नेता इससे सहमत नहीं है। वे रेट थोड़ी कम करने की मांग कर रहे हैं। बात सिर्फ चाय तक सीमित नहीं है। टैक्सी के भाड़े से लेकर बूंदी के लड्डू तक की रेट पर नेताओं-प्रशासन के भाव मेल नहीं खा रहे हैं।
पूरा मामला चुनाव पर होने वाले खर्च के लिए रेट तय करने की मीटिंग का है। बीकानेर के जिला निर्वाचन अधिकारी भगवती प्रसाद कलाल ने विभिन्न सामग्री के रेट पर बातचीत करने के लिए राजनीतिक दलों की मीटिंग बुलाई थी। कलाल ने मीटिंग में कहा, विधानसभा चुनाव के दौरान उम्मीदवार द्वारा किए जाने वाले खर्च की सीमा चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित की गई है। इलेक्शन एक्सपेंडिचर सेल द्वारा उम्मीदवार द्वारा किए जाने वाले खर्चे के संबंध में लेखा-जोखा रखा जाता है । इसी संदर्भ में चुनाव में प्रयुक्त होने वाले आइटम्स की दरों का निर्धारण किया जा रहा है।
उप जिला निर्वाचन अधिकारी ओमप्रकाश ने विभिन्न आइटम्स के लिए निर्धारित दरों का ब्यौरा दिया। इन दरों पर ही नेताओं-प्रशासन के बीच मतभेद नजर आए। कांग्रेस इन रेट्स से इस कदर असहमत है कि प्रवक्ता नितिन वत्सस ने मीटिंग के एक दिन बाद मंगलवार को कलेक्टर को पत्र भी दिया है। इस पत्र का आशय है कि रेट वाजिब नहीं है। बाजार से वास्तविक सर्वे कर दुबारा तय किए जाएं। हालांकि यह मीटिंग रेट्स पर सुझाव मांगने के लिए ही थी। ऐसे में हो सकता है कि कुछ आइटम्स के रेट पर पुनर्विचार हो।

कुछ ऐसे हैं रेट पर मतभेद:

अधिकारी-चाय 10 रूपए प्रति कप होगी।
जनप्रतिनिधि- यह रेट ज्यादा है, कम करो।
अधिकारी-बाजार में यही रेट है।
जनप्रतिनिधि- उसमें एक कप में दो लेाग पीते हैं।
अधिकारी-आप सभी को छोटा कप थोड़े ही पिलाओगे।
जनप्रतिनिधि-बाजार वाले कमाई के लिए चाय बेचते हैं। यहां दुकान थोड़े ही होगी।
मतलब यह है कि लगभग हर आइटम पर कमोबेश कुछ ऐसे ही सवाल-जवाब हुए। इनमें बूंदी से लेकर बूंदी के लड्डू और थ्री-व्हीलर ऑटो से लेकर कार-टैक्सी तक सब शामिल है। शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र में रेट का फर्क होने की बात भी कही गई।

इन पार्टियों के ये नेता रहे मीटिंग में:

कांग्रेस से महेंद्र गहलोत, यशपाल गहलोत, भारतीय जनता पार्टी से मोहम्मद रमजान अब्बासी, श्याम पंचारिया, आरएलपी के दानाराम घिन्टाला, धनाराम फौजी, आम आदमी पार्टी के मनीष शर्मा, बहुजन समाज पार्टी से प्रतापराम कांटिया सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि इस मीटिंग में रहे।


और कांग्रेस ने लिखी चिट्ठी:
चाय, बूंदी के लड्डू, चेयर-टेबल, साउंड सिस्टम, ऑटो रिक्शा, पानी की बोतल सहित लगभग सभी रेट्स बाजार और लागत से काफी अधिक बताए गए हैं। ये व्यवहारिक नहीं है। इस बारे मे मीटिंग में भी पार्टी की तरफ से आपत्ति जताई गई। जिला निर्वाचन अधिकारी को पत्र भी दिया है।
नितिन वत्सस, संगठन महामंत्री, शहर कॉंग्रेस

जानिए किस आइटम की क्या रेट रखी है निर्वाचन विभाग ने :

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में चाय की रेट चार रूपए प्रति कप थी उसे बढ़ाकर अब विधानसभा 2023 के चुनावों में दस रूपए प्रति कप करने का प्रस्ताव रखा है। इसी प्रकार कॉफी आठ रूपए से बढ़ाकर पन्द्रह रूपए, दूध दस रूपए से बढ़ाकर पन्द्रह रूपए, कचौड़ी दस रूपए से बढ़ाकर बारह रूपए, देशी घी से निर्मित जलेबी सौ रूपए से बढ़ाकर दौ सो तीस रूपए प्रति किलो, डालडा घी से निर्मित जलेबी जो पिछली बार इस लिस्ट में नहीं थी इस बार एक सौ तीस रूपए प्रति किलो, देशी घी से निर्मित बून्दी अस्सी रूपए प्रति किलो से बढ़ाकर दौ सो तीस रूपए प्रति किलो की प्रस्तावना की है। इस प्रकार लगभग तेरह आईटमों की रेट बढ़ाकर प्रस्तावित की है। इसी प्रकार किराये पर उपयोग में लाये जाने वाले वाहनों के भाड़ें में बढ़ोतरी प्रस्तावित की है। जिसमें एयर कडीशंड बसों का आठ हजार रूपए से बढोतरी करके दस हजार रूपये, नॉन एयर कडीशंड बसों का छः हजार से बढ़ाकर आठ हजार रूपये की बढ़ोतरी की प्रस्तावना की है। इसी प्रकार चौपहिया एवं तिपहिया आदि वाहनों पर भी बढ़ोतरी प्रस्तावित है। इस प्रकार चुनावों में उपयोग में आने वाले सभी सामानों पर कुछ-कुछ ना कुछ बढ़ोतरी प्रस्तावित है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)


जवाब जरूर दे 

क्या आप मानते हैं कि कुछ संगठन अपने फायदे के लिए बंद आयोजित कर देश का नुकसान करते हैं?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Bootalpha.com +91 84482 65129