संयुक्त संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण होने की मनाई वर्षगांठ

आरएनई, बीकानेर। भारत के बैंक राष्ट्रीयकरण के 54 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में पूरे देश में बैंक कर्मियों का संयुक्त संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। इनमें रैलियां, गोष्ठियां, सम्मेलन एवं सामाजिक सरोकार के कार्यक्रम शामिल हैं। इस अवसर पर वाई.के. शर्मा योगी प्रांतीय उपाध्यक्ष, राजस्थान प्रदेश बैंक एम्पलाइज यूनियन ने बताया कि बैंक संगठन आल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन के तत्कालीन महासचिव और उस समय के सांसद प्रभातकार के अथक प्रयासों द्वारा लोक सभा में बैंक राष्ट्रीयकरण सम्बंधित रेसोल्यूशन पारित हुआ।

आज ही के दिन 1969 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 14 बैंकों का देश हित मे राष्ट्रीयकरण किया। राष्ट्रीयकरण का देश की अर्थव्यवस्था में दूरगामी परिणाम निकला। ना केवल देश की जनता की संपत्ति सरकार के नियंत्रण में आ गई। गरीबों, किसानों को सस्ती ब्याज दर पर आसान ऋण उपलब्ध होने लगे। राष्ट्रीयकृत बैंक राष्ट्र निर्माण करने वाली संस्था है इनका यही स्वरूप राष्ट्रहित में बनाये रखना चाहिए।

भारतीय स्टेट बैंक से अधिकारी संगठन के मृत्युंजय प्रकाश क्षेत्रीय सचिव ने बताया कि राष्ट्रीयकरण से पूर्व बैंकों में कर्मचारियों के आने व जाने समय तय नहीं था, कोई सेवा शर्तें, नियम, कायदे लागू नहीं थे। राष्ट्रीयकरण ने ना केवल देश की अर्थव्यवस्था को ही सुधारा बल्कि बैंक कर्मियों के सेवा शर्तों में भी सुधार किया। राष्ट्रीयकृत बैंकों को मजबूत बनाना चाहिए और इनका विस्तार करना चाहिए।

बैंक ऑफ बड़ौदा के रामदेव राठौड़ ने बताया कि यू.एफ.बी.यू. संगठन न केवल अपने सदस्यों के अधिकारों के लिए लगातार लड़ता रहा है बल्कि सभी गरीबों, श्रमिकों, कामगारों, किसानों, महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्षरत है। बैंकों में समुचित भर्तियाँ की जानी चाहिए। संविधान में प्रस्तुत की गई कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के खिलाफ जा कर केवल कुछ कॉरपोरेट के थोड़े से मुनाफे के लिए बैंकों का निजीकरण नहीं किया जाना चाहिए।

विमंदित बच्चों के लिए भोजन सामग्री का वितरण नारी निकेतन सेवाश्रम पवनपुरी में किया गया। कार्यक्रम में वाई.के. शर्मा योगी, रामदेव राठौड़, मृत्युंजय प्रकाश, चन्द्रकांत व्यास, मोहनलाल देवड़ा, अशोक कुमार मीणा, जे.पी. वर्मा गुल्लू, आनंद ज्याणी, अशोक सोलंकी, जय शंकर खत्री एवं अन्य सदस्यों ने सहयोग किया।

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