‘ नहीं सहेगा राजस्थान ‘ अभियान से भाजपा का चुनावी शंखनाद, सोशल मीडिया हथियार, पर जाना तो जनता के पास पड़ेगा

भाजपा ने अगले विधानसभा चुनाव के लिए अपना अभियान ‘ नहीं सहेगा राजस्थान ‘ से शुरू किया है। हर जिले में आज इस अभियान के तहत धरना लगाया जा रहा है। विधानसभा में भी सभी भाजपा विधायक चाहे किसी भी विधेयक पर बोलें, अपने भाषण का अंत नहीं सहेगा राजस्थान से कर रहे हैं। लगता है पूरे चुनाव में इसी नारे को प्रमुख रूप से उभारा जायेगा। इसके लिए राजस्थान भाजपा ने अपनी मजबूत सोशल मीडिया टीम को पूरी तरह एक्टिव कर दिया है।


इस नारे को सोशल मीडिया के जरिये राजस्थान की जनता के दिमाग में बैठाया जा रहा है। हर रोज राज्य के अखबारों की नेगेटिव न्यूज का एक पंच बनाया जाता है और कई खबरों से एक डिजाइन तैयार की जाती है। फिर ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, टेलीग्राफ आदि को इससे भर दिया जाता है।

सोशल मीडिया की टीम जो पंच तैयार करती है उसे फिर मंडल पदाधिकारी से लेकर केंद्रीय मंत्री तक अपने अपने एकाउंट से उसे पोस्ट करते हैं। एक बड़ी सोशल मीडिया की टीम भाजपा ने राजस्थान चुनाव के लिए लगाई है। जिसे दिल्ली से गाइड किया जा रहा है।

भाजपा ने जो नये प्रदेश पदाधिकारी बनाये है, जिलाध्यक्ष बनाये है, उनमें से अधिकतर पहले सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सक्रिय नहीं थे, अब सभी को निर्देश देकर सक्रिय किया गया है। कईयों को खुद चलाने का ज्यादा अभ्यास नहीं है, उन्होंने सोशल मीडिया चलाने के लिए ट्रेंड कार्मिक हायर किये हैं।

अर्थ यही है कि चुनावी जंग में इस बार सोशल मीडिया राजस्थान में अहम रोल निभायेगा। कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम कुछ समय पहले तक तो काफी सक्रिय थी और भाजपा पिछड़ी हुई थी। मगर अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कांग्रेस थोड़ी कमजोर दिख रही है, उसका नुकसान उठाना पड़ेगा।

नहीं सहेगा राजस्थान के तहत आज कई जिलों में धरना है। वैसे भाजपा पहले सतीश पूनिया और बाद में सी पी जोशी की अगुवाई में जन आक्रोश रैलियां कर चुकी है, मगर उसको उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली थी।क्योंकि विपक्ष जनता के बीच नहीं गया। यदि नहीं सहेगा राजस्थान में भी संगठन व जन प्रतिनिधि जनता के बीच न गये तो पार्टी जो परिणाम इस अभियान से चाहती है, वो मिलना थोड़ा मुश्किल है।

इसके अलावा भाजपा लगातार पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, जे पी नड्डा के दौरे करा रही है, उनका असर भी दिखने लगा है मगर राज्य के नेताओं की जितनी सक्रियता व जनता के बीच उपस्थिति होनी चाहिए, उतनी नहीं है। ये भी स्वीकारा जाना चाहिए। कारण भी सभी जानते हैं, भाजपा के लिए सबसे बड़ा फेक्टर वसुंधरा राजे है। उनकी भूमिका को लेकर अभी तक असमंजस है उनसे जुड़े नेताओं व कार्यकर्ताओं में। भाजपा को ये छोटी दूरी भी शीघ्र पाटनी होगी, तभी वो आक्रामक होकर चुनावी समर में उतर सकेगी।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘

 

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