शिव पुराण : नारद मुनि ने माया के वश में नारायण को दिया श्राप

आरएनई,बीकानेर।  परमार्थ साधक सेवा समिति पारीक चौक बीकानेर द्वारा आयोजित पाक्षिक शिव महापुराण के चौथे दिन वाचन करते हुए शिवेंद्र स्वरूप महाराज ने शिव महापुराण की महिमा का वर्णन व शिव तत्व का निरूपण किया। कथा में रुद्र संहिता के सृष्टि भाग की कथा श्रवण करवाई देव ऋषि नारद जी महाराज भगवान की माया से अभिभूत होकर भगवान नारायण को श्राप दे दिया था। माया की निवृत्ति होने के बाद में जब उनको ज्ञान हुआ कि मैंने यह क्या कर दिया तब पश्चाताप हुआ। उस दोष की निवृत्ति के लिए जगतपिता ब्रह्मा जी के पास में गए शिव तत्व की कथा सुनाने का निवेदन किया।

जगतपिता ब्रह्मा जी ने वर्णन करते हुए कहा देवाधिदेव महादेव अपनी इच्छा शक्ति के द्वारा सृष्टि का निर्माण करते हैं अपने इच्छाशक्ति के द्वारा पालन करते और अपनी इच्छा शक्ति के द्वारा ही संहार करते हैं। भगवान महादेव उत्पत्ति के लिए ब्रह्मा को स्थिति के लिए नारायण संहार के लिए रूद्र को प्रकट करते हैं । ब्रह्मा जी के द्वारा स्थावर जंगम स्थलचर नभचर मानसिक एवं मैथुनीभाव सृष्टि का विस्तार भगवान शिव की प्रेरणा से हुआ। कथा के अंतर्गत परमार्थ साधक सेवा समिति द्वारा व्यासपीठ की ओर से पंडित श्री बंसीलाल शर्मा का शाल ओढ़ा कर स्वागत अभिनंदन किया गया।  हजारों की संख्या में श्रोता मौजूद रहे।

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