शिव महापुराण : राजा दक्ष-सती चरित्र की कथा का हुआ वाचन

आरएनई, बीकानेर।  परमार्थ साधक सेवा समिति पारीक चौक बीकानेर द्वारा आयोजित पाक्षिक श्री शिव महापुराण की छठे दिन सुबह यजमान परिवार भंवर लाल व्यास परिवार द्वारा सामूहिक रुद्राभिषेक किया गया। दोपहर में कथा का वाचन करते हुए ब्रह्मचारी  शिवेंद्र स्वरूप जी महाराज ने शिव कथा एवं शिव तत्व पर प्रकाश डाला।  शिव का मतलब होता है मंगल अर्थात कल्याण जिस कथा को सुनने से जीव के जीवन का मंगल हो जाता है एवं कल्याण को प्राप्त कर लेता है।

उसी कथा का नाम श्री शिव महापुराण आज की कथा में सती चरित्र की कथा बताते हुए किस प्रकार से राजा दक्ष ने इर्ष्या करके भगवान शिव से विद्रोह कर कनखल में बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया। भगवान शिव को नहीं बुलाया।  भगवान शिव का अपमान सती माता सहन नहीं कर पाई योगाग्नी से अपना शरीर भस्मीभूत कर लिया।

तब भगवान ने अपनी जटा से वीरभद्र और भद्रकाली को प्रकट किया एवं दक्ष के यज्ञ को पूर्णतया नष्ट करवाया। देवताओं की प्रार्थना पर पुनः यज्ञ को संपन्न करवाया। आज की कथा में परमार्थ साधक समिति द्वारा व्यासपीठ की ओर से बाहर से आए हुए अतिथि शंकर लाल पारीक पुलासर, त्रिलोकचंद पांड्या बुचावास, रामेश्वर लाल बोहरा, कालू तथा रेखचंद पांडया, महावीर प्रसाद उपाध्याय, माँगी लाल सोनी, बीकानेर का सम्मान किया गया।

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