‘लाल डायरी’ अब तो रंग दिखाने लगी, सियासत को उंगलियों पर नचाने लगी, गुढ़ा से पीएम तक यात्रा

राजस्थान की सियासत अब तो पूरी तरह से ‘लाल डायरी’ के इर्द गिर्द घूमने लग गई है। मजे की बात है कि हर किसी ने डायरी का कवर भर देखा है, पेज पढ़ना तो दूर किसी ने देखा तक नहीं। कांग्रेस व भाजपा की राजनीति के केंद्र में यकायक ये डायरी आ गई, जिस पर जिले के कार्यकर्ता से लेकर पीएम तक बोल रहे हैं। जनता को अब कौन बताये कि डायरी के भीतर क्या लिखा है, वो सबसे ज्यादा ये जानने के लिए बैचेन है, छटपटा रही है।


गुढ़ा ने डायरी का बम फोड़ा, सियासत में चारों तरफ धुंआ ही धुंआ हो गया। भाजपा को इस धुएं में सुगंध महसूस हो रही है तो कांग्रेस धुएं को हाथ फटकारकर भगाना चाह रही है। कल पीएम ने सीकर सभा में लाल डायरी को भ्रष्टाचार की दुकान कहकर हवा दे दी। अब तो हर भक्त सोशल मीडिया पर लाल डायरी की तस्वीरें कोटेशन के साथ चस्पा कर रहा है। अंजाने में ही सही, ऐसा लगता है जैसे अभी विपक्ष गुढ़ा और लाल डायरी ही है।


राजनीतिक रूप से पहले तो कांग्रेस शांत रही फिर अचानक से गुढ़ा पर हमला बोला है। अधिकृत रूप से पार्टी का कहना है कि ये भाजपा लिखी स्क्रिप्ट है और गुढ़ा केवल संवाद बोल रहे हैं।
जब इससे भी बात नहीं बनी तो पहले धर्मेंद्र राठौड़ ने एक पत्र जारी कर बताया कि वे तो रोज गांधी डायरी लिखते हैं, लाल डायरी कहां से आ गई। लगे हाथ गुढ़ा की मदद के उदाहरण दे दिए और उन पर इशारों में कई आरोप लगा दिए।

फिर मैदान में आये मंत्री महेश जोशी। उन्होंने तो मानहानि का मुकदमा करने की धमकी तक दे दी। साथ ही कह दिया कि करा लो मेरा नार्को टेस्ट। फिर हरीश चौधरी सामने आये और इस तरह की डायरी होने को ही नकार दिया। लाल डायरी विवाद में मंत्री शांति धारीवाल के पोते की भी एंट्री हो गई। वे भी गुढ़ा पर बरसे। अगर ऐसी डायरी है तो गुढ़ा उसे प्रेस के सामने ला सकते हैं मगर वे ऐसा भी नहीं कर रहे। पूरे राज्य को लाल डायरी की गिरफ्त में करके गुढ़ा अपने विधानसभा क्षेत्र में चले गये। डायरी के बारे में अब केवल अपने क्षेत्र के लोगों को बता रहे हैं, सुर्खिया बटोर रहे हैं। पीएम जब सीकर में लाल डायरी पर बोले तो कांग्रेस का जवाब था कि अच्छा होता पीएम लाल टमाटर पर बोलते।


कुल मिलाकर पीएम ने अब लाल डायरी के जरिये राजस्थान चुनाव में करप्शन को मुद्दा बनाने का ईशारा कर दिया है। हर भाजपा नेता अब ये ही राग अलाप रहा है। स्वाभाविक भी है, करप्शन के मुद्दे पर ही भाजपा को कर्नाटक में सरकार गंवानी पड़ी थी। यहां वो कांग्रेस का फार्मूला अपनाना चाहती है। लाल डायरी के भीतर का सच कभी सामने आयेगा क्या, इस यक्ष प्रश्न का जवाब तो किसी के पास नहीं है।

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