जकां नै टिगट लेवणो है, बै पारटी रै पदां सूं फ्री..

आरएनई, बीकानेर ।

जैपर मांय दड़ाछंट मेह बरसियो है, कैवता थकां लोरिया मराज पाटे रै पसवाड़े मुंढे आळी पीक पधराई।
‘बरस्यो तो दिल्ली आळो बाबलियो ई घणो ई है। आपां आळे कइयां माथै पाणी ढोळ ग्यो’ टोरिया मराज सांमी बात टोर दी।

लोरजी रा कान खड़ा अर खुद बैठा हुयग्या। पूछ्यो, आ किसी नूवीं बात लाया?

ई मांय नूवो कीं नीं है। कोर कमेटी भेळी हुई ही। नड्डोजी ई आया हा।
‘आ तो सगळा जाणे, कांई कैय ग्या, आ बतावो।’ उंतावळा हुय’र लोरसा पूछ्यो।
पडूतर मिलियो ‘बै साफ कैयग्या कै जकां नै टिगट लेवणो है, बां सगळा ने पारटी रै पदां सुं फिरी कर दिया। अबै जका पदां माथै है, बां नै संगठण रो काम ई करणो है।’
हें…जणे आपां आळा रो कांई हुसी। एकै खानी बै कोलायत सूं दिल्ली वाया सांसद सेवा केन्दर गाड्यां रा धुवाँ उडावै। दूजै खानी सैर आळा डाढ़ी माथै हाथ फिरावै..। नड्डो जी आ कांई कैय ग्या.. साफ ई टिगट नट ग्या..आ बात ठीक नीं है..। बड़-बड़ करता मराज पाछा आडा हुय ग्या..।

कार सेवा अब तो पहला काम

शहर के पाटे हर बार की तरह इस बार भी चुनाव नजदीक आते ही गुलजार हो गये हैं। जो भूलकर भी पाटों पर नहीं बैठते वे भी इन दिनों समय निकालकर पाटेबाजों संग जुगलबंदी कर रहे हैं। अभी पाटों पर भाजपा में टिकट मांगने वालों पर चर्चा गर्म है। हर कोई अपने आपको जे पी नड्डा समझ अपनी पसंद के व्यक्ति का टिकट पक्का तय बता रहा है।

मगर लोरिया महाराज हरेक की काट कर रहे हैं। उनका तर्क सॉलिड है। पुख्ता जानकारी व तथ्यों के साथ बताते हैं कि अभी जो भी टिकट मांगने नेताओं के पास जा रहा है, वो अपनी बात कम कर रहा है। पहले दूसरे दावेदारों की कार सेवा कर रहा है। उनके कांग्रेस नेताओं से सम्बंध, मनगढ़ंत आरोपों की फेहरिस्त बता रहे हैं। जिस भाजपा नेता के पास जाते हैं उसके सामने साबित कर देते हैं कि सब आपके विरोधी रहे हैं। महाराज का कहना है कि अभी कार सेवा का समय है, डिमांड का नहीं आया। हर दावेदार कार सेवक बना हुआ है। पाटा महाराज की बात से पूरी तरह सहमत दिखा।

आस नहीं हुई पूरी

पाटों पर इन दिनों कई लोगों की अधूरी रही आस को लेकर चटकारे लिये जा रहे हैं। जब से ये सरकार आयी तब कईयों ने खादी के कड़प लगे कपड़े पहनने शुरू कर दिए थे। हरेक को किसी न किसी नेता ने यूआईटी की कुर्सी पर बिठाने के लिए आश्वश्त कर रखा था। कई तो नियमित यूआईटी जाने लगे थे, सचिव व कर्मचारियों को तैयार रहने का कहने भी लग गये।

पाटेबाज बताते हैं कि एक ने तो अध्यक्ष बनने की एडवांस में ही 20 गोठें तक दे दी। कई सेवा कार्य कर दिए। व्यवहार भी अध्यक्ष जैसा करने लगे। अब राज के तीन महीने भी नहीं बचे, आस टूट गई। ये स्वयंभू अध्यक्ष पाटे पर आ गये, तो पाटेबाज कहां चूकने वाले थे। कह दिया, सुना है अब यूआईटी अध्यक्ष बन रहे हैं। दूसरा पाटेबाज बोला अब थोड़े से दिनों के लिए ये नहीं बनेंगे अध्यक्ष। लोरिया महाराज ने बात लपक ली और बोले, जरूर बनेंगे। आस टूटने नहीं देंगे। ये यूआईटी की कुर्सी का कंवारापन उतारने के लिए तैयार है, भले ही एक दिन के बींद बने। पूरा पाटा और वे, मुस्कुराने लगे। आस अब भी जिंदा है।

बिना डिब्बा रा इंजन फगग फगग दौड़े

बीकानेर की इस बार राज में तकड़ी भागीदारी है, अकेला ऐसा जिला है प्रदेश में जिसके पास 6 मंत्री है। विधानसभा की सीट भले ही सात है और कांग्रेस ने जीती हुई तीन है, मगर मंत्री 6 है। पाटा आजकल इन पर खूब चर्चा कर रहा है। जो इंजन डिब्बे के साथ चीलों पर चला और राजधानी पहुंचा, वो इन दिनों ज्यादा चिंतित है। पहली टिकट की चिंता और दूसरी जीत की चिंता। राज आयेगा तो फिर मंत्री पद की चिंता तो करनी ही है। लोरिया महाराज का मानना है कि जो इंजन बिना डिब्बो के चीलों पर दौड़ रहे हैं, वे आराम में है। उनको ना टिकट की न जीत की चिंता है। राज आ गया तो हाथ मार लेंगे। इसी कारण डिब्बों वाले इंजन तो अपने क्षेत्र में दौड़ रहे हैं और बिना डिब्बों वाले पूरे राज्य में चौधर करते हुए फगग फगग दौड़ सरकारी तेल का धुंआ निकाल रहे हैं।

जन सुनवाई या तबादला कैंप

इन दिनों सारे विधायकों व मंत्रियों को अपना अपना विधानसभा क्षेत्र खूब याद आ रहा है। ये याद ज्यादा पुरानी नहीं, सिर्फ तीन महीने पुरानी है। इससे पहले तो वे राजधानी में रमे हुए थे। पाटे पर सरकारी बाबू को देख लोरिया महाराज ने पूछ लिया आज यहां कैसे, तुम्हारी पोस्टिंग तो बाहर है। वे बोले, तबादला वापस शहर में करवाना है उसके लिए आया हूं। महाराज बोले, फिर तो राजधानी जाओ। वहां अभी काम नहीं होता, वे बोले। अब तो सब तबादला कैम्प विधानसभा क्षेत्र में ही लगते हैं। महाराज बोले, मगर अखबार में तो खबर जनसुनवाई की आती है। वे गुस्से से बोले, हम उनकी जन नहीं है क्या। वोट नहीं लेना है क्या। आजकल कहीं भी पढ़ो कि जन सुनवाई हुई तो समझ लो तबादला कैम्प लगा। पाटा सहमत दिखा, इस समय हरेक को तबादले का प्रसाद मिल रहा है। जिसका तबादला खुद ने बाहर कराया उसका भी शहर में तबादला करा रहे है। महाराज बोले, वोट की आस में हो रहा है। अब जो देगा उसका भी भला, जो न देगा उसका भी भला।

पट्टी लगाओ, माला पहनाओ, नारे लगाओ

इन दिनों जिले के हर कोने में उद्घाटन व शिलान्यास पट्टिकाओं को ताबड़तोड़ लगाने का जोर है। सारे नेता सप्ताह में तीन दिन क्षेत्र में रहते ही हैं और रोज आधा दर्जन पट्टिकाओं से पर्दा न हटायें तो चेन नहीं मिलता। सरकारी अफसर चाहे कोटे से छोटा काम हो या बड़ा, दनादन पट्टिकाओं से पर्दे उठवा रहे हैं। मालाओं से लाद रहे हैं और जय जयकार करवा रहे हैं। जय जयकार के लिए नेता के साथ चलने वाले ही काफी है। अब उनका स्वागत विभागों को मिष्ठान, नमकीन, कोल्ड ड्रिंक से करना ही पड़ता है। पाटे हिसाब लगा रहे हैं कि कितने भाठे लगे। जितने लगे उतने काम पूरे होंगे क्या। पहले का अनुभव तो बहुत कड़वा है। मगर पाटों का मानना है कि समर्थकों के सावन सामने आ गया, दोनों वक़्त खाने की मौज ही मौज है।

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