रुद्रा तत्काल : कांग्रेस व भाजपा में टिकट तय करने में हो रही देरी के अपने-अपने कारण, डर सबसे बड़ी वजह

आरएनई, बीकानेर।

कांग्रेस और भाजपा ने इस बार उम्मीदवार तय करने का काम सितंबर माह में ही कर लेने की बातें दावों के साथ कही थी। कांग्रेस ने अन्य राज्यों के लिए तो नहीं, राजस्थान के लिए ये बात सार्वजनिक रूप से जरूर कही थी। सीएम अशोक गहलोत ने कई बार कहा कि हम सितंबर में उम्मीदवार तय कर देंगे ताकि सबको जनता के बीच जाने का पूरा अवसर मिले। असंतोष को भी वे दूर कर सके। हालांकि ये बात मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना के कांग्रेस नेताओं ने नहीं कही थी। मगर अक्टूबर का पहला सप्ताह बीतने के बाद भी कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली सूची जारी नहीं कर सकी है। यही स्थिति भाजपा की है। उसने छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश में उम्मीदवारों की पहली सूची बहुत पहले जारी कर दी। मध्यप्रदेश में तो दूसरी सूची भी जारी कर दी। किंतु राजस्थान में अब भी पहली सूची जारी नहीं हो सकी है। बहुत दावों के बाद भी भाजपा की पहली सूची का राजस्थान में इंतजार है। छतीसगढ़ में ठीक इसी तर्ज पर दूसरी सूची को लेकर कोई हलचल नहीं दिख रही।

पहले बात भाजपा की। राजस्थान में पहली सूची द्रोपदी के चीर की तरह लंबी हो गई है। ऐसा भी नहीं है कि इस पर काम नहीं हुआ। खूब काम हो गया। जिले, संभाग, राज्य व आलाकमान तक उम्मीदवार तय करने के लिए बैठकें हो गई मगर सूची पर ताला ही लगा रहा। पीएम की अध्यक्षता में केंद्रीय चुनाव समिति की भी राजस्थान को लेकर बैठक हो गई मगर सूची अदृश्य ही है।

भाजपा के सूची न आने के अपने कारण है। पहले तो नेताओं के सामने जब पहली लिस्ट रखी गई तो उस पर सहमति नहीं बनी। दूसरे अमित शाह व नड्डा पैनल से नाराज हो गये, जो चुनाव समिति व प्रभारियों ने तय किया था। तीसरे पीएम के पास जो सर्वे था उससे पैनल मैच नहीं हुआ तो उन्होंने फिर से ग्राउंड रिपोर्ट के आधार पर पैनल तैयार करने का कहा।। इतनी असंगतता की वजह भाजपा के राज्य के नेताओं के बीच तालमेल न होना है, आपसी टकराहट ही सर्वसम्मति नहीं बनी। अब फिर से कोर टीम के साथ आलाकमान के नेता बैठकें कर रहे हैं।

कांग्रेस की स्थिति भी काफी कुछ ऐसी ही है। प्रभारियों के पैनल को आलाकमान ने खारिज कर दिया क्योंकि उनके पास सुनील का सर्वे है। स्क्रीनिंग कमेटी दुबारा पैनल बना रही है और मधुसूदन मिस्त्री ग्राउंड रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। अब साफ हो गया कि सिफारिश के आधार पर टिकट नहीं दिया जायेगा। मतलब साफ है जो नेता सीएम या पायलट के भरोसे टिकट तय मानते थे, उनको निराश होना पड़ेगा। सर्वे व ग्राउंड रिपोर्ट ही टिकट का आधार होंगे। कांग्रेस में भी आपसी टकराहट कम नहीं है।

इन स्थितियों को देखते हुए लगता है कि दोनों दलों की पहली सूची आने में अभी समय लगेगा। श्राद्ध खत्म होने से पहले तो सूची की उम्मीद ही नहीं की जानी चाहिए।

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