82 वां जन्मदिन, अमिताभ बच्चन होने के मायने

अभिषेक आचार्य

आरएनई, बीकानेर
व्यक्ति जब किसी माध्यम का पर्याय हो जाये तो शायद उसका होना हरेक के लिए खास मायने रखता है। भीड़ से अलग व बड़ा व्यक्तित्त्व होने के कारण उसे हर कोई देखता है। जब देखता है तो कुछ न कुछ सीखता है। यही प्रक्रिया उसके कद को बड़ा बनाती चलती है। जब उस व्यक्ति का स्वयं का शारीरिक कद बड़ा हो तो वो कद बड़ा नहीं होता, बड़े के स्थान पर ऊंचा होता जाता है। तभी तो उसे नायक नहीं महानायक की संज्ञा मिलती है। सही समझे आप, मैं इस सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की ही बात कर रहा हूं। जिनका आज 82 वां जन्मदिन है।

ये दिन केवल फिल्म जगत के लिए खुशी की बात नहीं अपितु पूरे भारतीय समाज के लिए उत्सव का दिन है। चाहे कोई फिल्म देखता हो या न देखता हो, अमिताभ को जरूर जानता है। क्योंकि बड़ा पर्दा हो या छोटा पर्दा, अखबार हो या पत्रिकाएं, होर्डिंग हो या पोस्टर, ये महानायक नजर आ ही जाता है।

एक समय में जब इस कलाकार को काम मांगने के लिए भटकना पड़ता था और फिल्म निर्माता असफलता के भय से उनको दूर रखते थे, अब वे ही लोग इस कलाकार को सफलता की गारंटी मानते हैं। तभी तो इस कलाकार ने जीवन में बहुत उतार चढ़ाव देखे। मुफलिसी में दिन काटे तो भी नहीं झुका। संघर्ष किया। मित्र यानी व्यक्ति कमाये थे इसलिए संघर्ष का समय पार करके हालातों को हराया। ये कम बात नहीं होती। उनके जीवन की संघर्ष गाथा एक खुली किताब है जिसे कईयों ने पढ़ा है, इसी कारण इसे अपना नायक मानते हैं और उस जैसा बनना चाहते हैं।

हिंदी के बड़े कवि और मधुशाला के रचयिता हरिवंश राय बच्चन व तेजी बच्चन के इस सुपुत्र की लंबाई जो एक समय मे बड़ी कमी कही जाती थी वही बाद में उनकी बड़ी खूबी बनी। पिता से शब्द के संस्कार इस अभिनेता ने सीखे तभी तो उनकी संवाद अदायगी ने उनको बड़ा कलाकार बनाया। शब्द के केवल भाव नहीं जानता ये कलाकार, अपितु उस शब्द का संस्कार व संवेदना भी पहचानता है। इसी कारण जो भी शब्द मुंह से निकलता है, ये लगता है जैसे इस कलाकार के लिए ही उसे लिखा या रचा गया है। टीवी सीरियल कौन बनेगा करोड़पति इसका ज्वलंत उदाहरण है।

सफल फिल्मों के नाम गिनाने की मैं आवश्यकता नहीं समझता, क्योंकि उनके बारे में हर कोई जानता है। उनकी एंग्री यंगमैन की छवि से भी सभी परिचित है। हिंदी सिनेमा को ये ट्रेंड अमिताभ ने ही दिया।
अमिताभ की कुछ असफलताएं भी है। एक बार उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। लोकसभा के चुनाव में हेमवती नन्दन बहुगुणा को इलाहाबाद से चुनाव हराया। उस समय उनके इस निर्णय से अनेक प्रशंषक नाराज भी थे। बाद में तो वे खुद राजनीति से नाराज हो गये और इस क्षेत्र को अलविदा कह दिया। हालांकि उनकी पत्नी जया बच्चन अभी भी राज्यसभा सदस्य है।

ये कलाकार अनेक जन चेतना व सामाजिक अभियानों का ब्रांड एम्बेसेडर है। यही उनका सही काम है। अभिनय व जन चेतना, सब उनकी यही छवि चाहते हैं। इस उम्र में भी वे किसी जवान की तरह सक्रिय है, शतायु हो, यही दुआ है सदी के इस महानायक के लिए।

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