अब मिशन राजस्थान : सचिन की जन संघर्ष पद यात्रा राजनीतिक बदलाव का संकेत

अजमेर से शुरू हो रही 125 किमी यात्रा के बैनर में महात्मा गाँधी और सोनिया गाँधी के फोटो,खड़गे, राहुल, प्रियंका गायब

मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार

राजस्थान में पेपर लीक प्रकरण के खिलाफ सचिन पायलट की जन संघर्ष पदयात्रा आज अजमेर से आरम्भ हो रही है। 125 किमी की इस यात्रा के जरिये पायलट भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई का दूसरा स्टेप आरम्भ कर रहे हैं। इससे पहले वे जयपुर में एक दिन का सत्याग्रह कर चुके हैं। ये पदयात्रा इस बात का द्योतक है कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अब मिशन शुरू हो गया है। आने वाले समय में इस राज्य की राजनीति में अब बड़े बदलाव होंगे। पदयात्रा के लिए पायलट ने जो बैनर सार्वजनिक किया है उसमें सत्ययग्रह की तरह गांधी जी है, सोनिया गांधी है, मगर न तो खड़गे हैं और न ही राहुल – प्रियंका है। बैनर भी राजनीति से ज्यादा कूटनीति का है।
इससे पहले कल पीएम नरेंद्र मोदी व सीएम अशोक गहलोत ने एक ही मंच पर भाषण दिए और एक दूसरे पर राजनीतिक कटाक्ष करने का अवसर नहीं गंवाया। मंच पर गहलोत और पायलट के पिछले दिनों जो वार पलटवार के केंद्र में रही पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी मौजूद थी। भाषणों में भले ही पीएम और सीएम कुछ न बोले हो मगर बॉडी लेंवेज में एक राजनीतिक तनाव पीएम, सीएम व राजे में साफ नजर आ रहा था। कल कर्नाटक विधानसभा के लिए मतदान हुआ और कल से ही भाजपा कांग्रेस का मिशन राजस्थान आरम्भ हो गया।
हालांकि राजस्थान में कांग्रेस व भाजपा के भीतरी द्वंद अभी तक गहराये हुए हैं और दोनों पार्टियों के आलाकमान उनको सुलझा नहीं पाये हैं। अब दोनों दल संकेत दे रहे हैं कि शीघ्र ही बड़े निर्णय लेकर चुनाव में उतरा जायेगा। उसी के मध्य अपने दिल्ली के शुभचिंतकों से सलाह के बाद पायलट ने पीसी के जरिये सीएम गहलोत पर पलटवार कर एक चेतावनी पार्टी आलाकमान को दी और पदयात्रा की घोषणा कर दी। जो आज शुरू भी हो रही है।
राज्य में अब तेजी से राजनीतिक घटनाएं घटेगी, ये स्पष्ट है। पायलट की पीसी व पदयात्रा को लेकर कांग्रेस आलाकमान ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, हर बात पर तत्काल बोलने वाले प्रभारी रंधावा भी चुप है। न सीएम व उनके खेमे की तरफ से कोई बयान आया है। ये तूफान से पहले की शांति प्रतीत होती है। पायलट के मन में क्या है, इसका कोई भी अंदाजा नहीं लगा पा रहा। जबकि 10 तारीख को राहुल गांधी भी राजस्थान में थे। सीएम गहलोत उनके साथ रहे। पहले हर बार जब वे राज्य में आते थे तो पायलट भी रहते थे, मगर इस बार उनके साथ नहीं दिखे। राहुल व गहलोत के बीच बात भी हुई मगर सार्वजनिक रूप से कुछ भी बयान नहीं दिया गया। इस हालत से ये लगता है कि अंदरखाने पायलट को लेकर कांग्रेस में भी कोई स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी है मगर उसे सार्वजनिक कर्नाटक के चुनाव परिणाम देखकर 13 तारीख के बाद किया जायेगा। कर्नाटक के परिणाम ही राजस्थान की भविष्य की राजनीति का धरातल तैयार करेंगे। सर्वे यदि सही होते हैं तो कांग्रेस कर्नाटक में बेहतर परिणाम पायेगी। मगर ये भी स्पष्ट है कि वहां अच्छा तभी हुआ है जब सिद्धारमैया व डी के शिवकुमार साथ आये। राजस्थान में भी गहलोत व पायलट के एक साथ हुए बिना बेहतर परिणाम की अपेक्षा नहीं की जा सकती। इसलिए कर्नाटक के परिणाम के बाद ही राज्य की राजनीति में सर्जरी होगी। उसके लिए वार रूम में मंथन अवश्य हो चुका है।
कमोबेश भाजपा की भी यही स्थिति है। कर्नाटक के परिणाम आने के बाद ही यहां की पार्टी की अंदरूनी टकराहट पर आलाकमान कोई ठोस निर्णय करेगा, पहले निर्णय कर वो कोई रिस्क उठाना नहीं चाहता। घाटे- नफे का आंकलन कर्नाटक चुनाव परिणाम पर केंद्रित होगा। क्योंकि राजस्थान में पीके की एंट्री हुए भी काफी समय हो गया है, उनकी चाल क्या है ये अभी तक सामने नहीं आयी है। कुल मिलाकर 13 तारीख के बाद देश की राजनीति का केंद्र राजस्थान होगा और यहां बड़े राजनीतिक घटनाक्रम होंगे, ये तो तय हो गया है।

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