ऑवर फॉर नेशन : नाम ही बता देता है इन दीवानों का काम

सुधीश के साथ पांच लोगों ने पहल की, अब 500 हो गए, हर संडे जुटती है टोली, सफाई करके ही दम लेती है

वर्ल्ड एनवायर्नमेंट-डे पर रूद्रा न्यूज एक्सप्रेस और रिन्युएबल एनर्जी के क्षेत्र में काम कर रही अर्का ग्रीनर्जी कंपनी ने मिलकर ऐसी शख्सियतों का सम्मान करने का क्रम शुरू किया है जो संगठित, व्यक्तिगत या संस्थागत किसी भी रूप में पर्यावरण संरक्षित करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। ये वो लोग हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल, विभाग या संगठन के स्तर पर कुछ ऐसा नवाचार किया है जिससे पर्यावरण संरक्षित हो सके। यह सम्मान उनके प्रति समाज की ओर से कृतज्ञता जताने का एक तरीका है। इस दिशा में बहुत सारे व्यक्ति, संस्थाएं, संगठन और विभाग काम कर रहे हैं। प्रतीकात्मक तौर पर यह उन सभी का सम्मान है।

रविवार की सुबह बीकानेर के पब्लिक पार्क के कोने में कुछ गाड़ियां आकर ठहरती है। एक, दो, तीन, चार….देखते ही देखते अच्छी खासी टीम बन जाती है। कोई गाड़ी से झाड़ू निकालता है तो किसी के हाथ में फावड़ा। कोई कुदाल ले आया तो किसी ने कचरा जमा करने की कड़ाही थाम ली। बगैर ज्यादा बात किए जुट जाते हैं काम में। घंटों चलता रहा है सफाई का काम। थम जाते हैं। पसीना बहता रहता हैं लेकिन तभी ठहरते हैं जब सफाई के लिए तय किया गया काम पूरा हो जाता है।


यह किसी एक संडे की सुबह की बात नहीं है। हर रविवार ऐसा ही नजारा दिखता है, केवल जगह बदल जाती है। आदमी वही रहते हैं। पूछते हैं, कौन हैं आप? जवाब मिलता है-टीम ऑवर फॉर नेशन।
बीकानेर शहर में अब हर कोई इस टीम के बारे में जानता है। इसे लीड करते हैं सीए सुधीश शर्मा। दिनभर जीएसटी की कटौती-बढ़ोती, कंपनियों की बैलेंस सीट और इनकम टैक्स की बाराीकियों में उलझा रहने वाला यह शख्स इतनी टीम कैसे जुटा सकता है?


इस सवाल का जवाब पाने के लिए सात साल पीछे जाना पड़ता है।
सीए की पढ़ाई कर विदेश चले गए सुधीश शर्मा का वहां मन नहीं लगा। एक साल में ही लौट आए। अपना ऑफिस खोला। खुद के काम के साथ बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। जुनूनी इतने कि यंग चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की फौज खड़ी कर दी। इसी के साथ शहर के हालात को देख मन में आया, किसी को कहे बगैर खुद से जितना हो उतनी सफाई शुरू करते हैं। दोस्तों से बात की। अधिकांश ने मुंह बिचका दिया, लेकिन ठान ली तो काम पर निकल पड़े। पहले संडे साथ मे पांच ही लोग थे। लगभग कई सप्ताह तक कुछ इतनी ही संख्या रही। धीरे-धीरे काम की गंभीरता देख झिझक छोड़ लोग जुड़ते गए। अब बीते तीन से चार सालों से ऑवर फॉर नेशन का नाम लेते ही उन दीवानों की टीम जेहन में उभर आती है जो हाथ में झाड़ू लिए शहर के किसी कोने को साफ करते रहते हैं।
हालांकि इस टीम को कई अवार्ड मिले हैं। सिर्फ सफाई तक सीमित नहीं हैं, वरन अनेक सामाजिक सरोकार निभाते हैं। यूक्रेन में फंसे स्टूडेंट्स की मदद भी इसी में शामिल है। कई लोग आकर पूछते हैं, हमसे क्या मदद चाहिए? उनका इशारा फंड की तरफ होता है। ये एक झाड़ू थमाकर बोलते हैं, हमारे साथ आइये।

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