प्रदेश की 1300 खान लीज का क्लस्टर बनेगा, जिला की बजाय प्रदेश मुख्यालय से लेनी होगी पर्यावरण क्लीयरेंस एनजीटी का निर्देश: 9 सितंबर 2013 के बाद की लीज का क्लस्टर बनाकर राज्य स्तर पर दी जाएगी पर्यावरण, बाकी खानधारक सीधे आवेदन करेंगे

जोधपुर और उदयपुर में एक एक स्टेट लेवल एन्वायरमेंट अप्रेजल कमेटी बनाने की तैयारी: वीनू गुप्ता

आरएनई, स्टेट ब्यूरो।

प्रदेश में पांच हैक्टेयर या इससे अधिक क्षेत्रफल वाली ऐसी खानें जिन्हें 9 सितंबर 2013 के बाद जिला स्तर की पर्यावरण क्लीयरेंस कमेटी ने पर्यावरण स्वीकृति दी है उन सबका अब क्लस्टर बनाया जाएगा। इन्हें प्रदेश स्तरीय क्लीयरेंस कमेटी से दोबारा पर्यावरण स्वीकृति लेनी होगी। ऐसी खानों की संख्या लगभग 1300 बताई जा रही है। इनके अलावा जो भी खानें हैं उनको भी प्रदेश स्तरीय कमेटी से क्लीयरेंस लेनी है लेकिन उन्हें क्लस्टर बनाने की बजाय सीधे आवेदन करना होगा।

खनिज विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव वीनू गुप्ता ने प्रदेश के प्रमुख अधिकारियों की मीटिंग में यह निर्देश दिए। गुप्ता ने यह बात नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के निर्देश के मुताबिक कही है। एनजीटी ने कहा है कि जिला स्तरीय समिति से क्लीयरेंस ले चुके खानधारकों को प्रदेश स्तरीय कमेटी से भी एक साल में पर्यावरण स्वीकृति लेनी जरूरी है।


अधिकारियों की मीटिंग में वीनू गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में फिलहाल जयपुर की दो स्टेट लेवल एन्वायर्नमेंट अप्रेजल कमेटियां हैं। अब जोधपुर और उदयपुर में भी एक-एक प्रदेश स्तरीय कमेटी गठन का विचार किया जा रहा है।
एसीएस गुप्ता ने बताया कि एनजीटी के आदेश के बाद राज्य सरकार गंभीर है और इसके लिए आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं। उन्होेंने बताया कि 5 हैक्टेयर या इससे अधिक की माइनिंग व क्वारी लीजों की संख्या कम है। इनका कलस्टर बनाने का काम आरंभ करने के निर्देश दे दिए गए हैं। इनके अतिरिक्त डिस्ट्रीक्ट लेवल एन्वायरमेंट इंपेक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी से पर्यावरण स्वीकृति वाली लीजों के धारकों द्वारा सीधे ही आवेदन किया जाएगा।इनके प्रर्यावरण स्वीकृति की प्रक्रिया आसान होने और राज्य स्तर की जोधपुर और उदयपुर में कमेटी गठित होने से प्राथमिकता से पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त हो सकेगी।


निदेशक माइंस संदेश नायक ने बताया कि विभागीय अधिकारियों द्वारा 9 सितंबरए 2013 के बाद की 5 हैक्टेयर या इससे अधिक की माइनिंग व क्वारी लीजों को राज्य स्तर से पर्यावरण स्वीकृति के लिए कलस्टर बनाने का काम आरंभ कर दिया गया है। यह काम इस माह के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस तरह की करीब 1300 माइनिंग लीज व क्वारी लाइसेंस है।

डीएमजी नायक ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा एनजीटी के निर्देशों के क्रम में राज्य स्तर से पर्यावरण स्वीकृति के लिए आवश्यक सहयोग व समन्वय किया जा रहा है।

 

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