लम्पी महामारी का मुआवजा ऊंट के मुंह मे जीरे के समान- ओझा

मृत गायों के 100वां हिस्से के बराबर भी नहीं मिला मुआवजा

आरएनई, महाजन।
लंपी महामारी के दौरान मृत दुधारू गायों के मुआवजा को ऊंट के मुंह में राई बताते हुए सरकार पर आक्रामक निशाना साधा गया है। राज्य सरकार पशुपालक होने का ढोल पीट रही है लेकिन दिए गए मुआवजा पर गौर करें तो आंकड़े खुद ही ढोल की पोल खोल रहे है।


बीकानेर जिले के लूणकरणसर ब्लॉक में मात्र 339 दुधारू गायों को लंपी महामारी से मृत घोषित कर सरकार पशु पालक हितेषी होने का ढोंग कर रही है।
पूर्व उप प्रधान एवम् भाजपा नेता शिवरतन शर्मा ने उपखंड अधिकारी, जिला कलेक्टर, मुख्यमंत्री कार्यालय सहित केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को ज्ञापन देकर बताया है कि लंपी के दौरान क्षेत्र के अधिकांश पशु अस्पताल व सब सेन्टर खाली पड़े थे। चिकित्सक और एलएसए के अभाव में मृत पशुओं की गणना तक नहीं हुई थी लेकिन सरकार ने मार्च माह में वास्तविक का सौंवा हिस्सा भी शामिल नहीं करके कोरी वाहवाही लूटने की नौटंकी की है।


शर्मा ने बताया कि अर्जनसर, चक जोड़, रामसरा, बालादेशर, साबनिया, रामबाग जैसी ग्राम पंचायतों में एक भी पशु पालक को क्षतिपूर्ति राशि नहीं मिली है जबकि सर्वाधिक क्षति इसी क्षेत्र में हुई थी। आंकड़ों को पोल तो मृत पशु निस्तारण के आंकड़ों से भी खुल जाती है जिसमें ग्राम पंचायतों ने पंचायत राशि से हजारों पशु निस्तारित किए थे।
शर्मा ने पशुपालन विभाग, ग्राम पंचायत, गौशाला तथा मृत पशु निस्तारण करने वाले कार्मिक की संयुक्त टीम बनाकर वंचित सर्वे करवाने की मांग प्रशासन से की है तथा ऐसा नहीं होने पर पशु पालकों का सड़कों पर उतरना स्वाभाविक बताया है। शर्मा ने जन प्रतिनिधियों तथा सरकार के कार्यकर्ताओं पर भी अनदेखी का आरोप लगाते हुए रोष जताया है।

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