श्री खुशालदास विश्वविद्यालय कैंपस में क़्वालिटी एजुकेशन एंड थॉट प्रोसेसेस थीम पर एक महत्वपूर्ण संवाद-सत्र आयोजित किया गया

आंत्रप्रिन्योरशिप को डेवलप करना सर्वोच्च प्राथमिकता हो- प्रो. नायर (एमआईटी यूएसए)
आरएनई, हनुमानगढ़।
एमआईटी यूएस के पूर्व प्रोफेसर राजेश नायर ने इस अवसर पर कहा कि स्कूल से लेकर कॉलेज और यूनिवर्सिटी तक की शिक्षा में उम्र के साथ-साथ स्टूडेंट्स की खुद की समझ और सीखने की प्रवृत्ति में बहुत अंतर आ जाता है जो आगे चलकर उसे किसी प्रोफेशनल, आंत्रप्रिन्योर या किसी अन्य भूमिका के लिए तैयार करता है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को समझने के लिए इकोनॉमिक्स और पादपों को समझने के लिए बॉटनी की जानकारी चाहिए होती है। उसी तरह हमें बदली हुई परिस्थितियों में मल्टीपल स्किल्स वाले लोग तैयार करने होंगे।

प्रो. नायर ने कहा कि इनोवेटर्स और आंत्रप्रेन्योर सोल्यूशन क्रिएटर तथा वैल्यू क्रिएटर होते हैं जिनकी सोसाइटी में सबसे ज्यादा जरुरत है। इसलिए इन्हें डेवलप करने की नितांत आवश्यकता है। दरअसल दुनिया के सामने जो ज्वलंत समस्याएं हैं उनको हल करने में विज्ञान और तकनीक कहाँ तक सहायक सिद्ध हो सकते हैं, यही बड़ा सवाल है इसलिए अलग-अलग समस्याओं का समाधान करने में कई तरह की स्किल्स और अंडरस्टैंडिंग्स की जरुरत पड़ती है।

जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी, यूएस से शांति नायर ने कहा कि हमें लर्निंग ईको सिस्टम बनाना होगा और हमें ये मालूम है कि डर के आगे जीत है इसलिए हमेशा स्वतंत्र रूप से नए आइडिया को साझा करें और उन पर शिद्दत से काम करने की जरुरत भी है।

आई स्कॉलर के राजेंद्र प्रसाद नडेला ने कहा कि आने वाले समय में क़्वालिटी एजुकेशन के बिना संस्थान अपना वजूद खो देंगे। उन्होंने आईआईटी परीक्षा पर तंज कसते हुए कहा कि ये संसथान सिर्फ प्लेसमेंट एजेंसीज बन कर रह गई हैं क्योंकि पंद्रह लाख स्टूडेंट्स में से अगर 90 फीसद मार्क्स लाने वाले कुछ एक हजार को एडमिशन मिलता है तो उन स्टूडेंट्स पर काम करना बहुत मुश्किल भी नहीं।

एसकेडी यूनिवर्सिटी के चेयरपर्सन दिनेश जुनेजा ने बताया कि इस माइंड ब्लोइंग सेशन में वर्ल्ड रैंकिंग में शीर्ष शिक्षण संस्थानों के इंजीनियरिंग और आईटी सेक्टर के दिग्गज लीडर्स और मेंटर्स को लाइव देखना और सुनना हनुमानगढ़ के स्टूडेंट्स के लिए रोमांचकारी था।

टेक गुरु प्रो. राजेश नायर (MIT USA) का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू
प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में पत्रकारों के सवालों के जवाब

21वीं सदी में भारतीय पेशेवरों के महत्वपूर्ण योगदान के साथ कौन से सेक्टर महत्वपूर्ण होने की सम्भावना है?
-भारतीय पेशेवरों का महत्वपूर्ण योगदान के साथ तकनीकी उद्योगों के कई क्षेत्रों में भारत की प्रभावशाली भूमिका होने की उम्मीद है। इनमें सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, कंप्यूटर साइंस, बायो इंफोर्मेटिक्स, न्यूरल नेटवर्क्स, वाणिज्यिक उद्योग और ऊर्जा तकनीक शामिल हैं। भारतीय तकनीकी पेशेवरों की मान्यता बढ़ती जा रही है और उनकी विशेषज्ञता और नवाचारी धारणाओं से वे वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना रहे हैं। उनके योगदान से नवीनतम तकनीकी उद्भवों, अद्यतनों और नवीनतम अविष्कारों में महत्वपूर्ण गतिशीलता देखने की उम्मीद है। इस प्रकार, भारतीय पेशेवरों द्वारा प्रदर्शित कौशल, उद्भवता और नवाचार ने तकनीकी उद्योगों को महत्वपूर्ण तेजी से बढ़ावा दिया है।

भारतीय युवाओं के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे?
-सशक्त भारतीय युवाओं के लिए मैं एक संदेश रखता हूँ। प्रिय युवाओं, आप देश के भविष्य हैं और आपके पास अद्वितीय संसाधन और क्षमता है। आपको अपने सपनों की प्रेरणा लेनी चाहिए और उन्हें प्राप्त करने के लिए मेहनत करनी चाहिए। आपका समर्पण, अविचलितता और सकारात्मकता आपको सफलता की ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं। यह दुनिया आपके लिए अनगिनत अवसरों से भरी हुई है।

एसकेडी यूनिवर्सिटी में विशेष संवाद-सत्र में भाग लेने के बाद आप कैसा महसूस करते हैं?
मैं एक गर्व से भरी भावना महसूस कर रहा हूँ कि मैंने एसकेडी विश्वविद्यालय में उद्यमिता के बारे में एक व्याख्यान दिया है। यह मेरे लिए एक महत्वपूर्ण और सार्थक कार्य है और मुझे खुशी है कि मुझे इस अवसर का लाभ मिला है। मेरे मन में एक उत्साह और संतुष्टि की भावना है क्योंकि मैंने अपने अनुभवों, ज्ञान और प्रेरणादायक विचारों को साझा करके युवाओं को प्रेरित करने का मौका प्राप्त किया है।

एक गौरवान्वित भारतीय होने के नाते देश को क्या योगदान देना चाहेंगे?
मैं उद्यमिता के क्षेत्र में भी योगदान देना चाहता हूँ। मुझे विश्वास है कि उद्यमिता एक महत्वपूर्ण माध्यम है जो समाज और अर्थव्यवस्था को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। मैं युवाओं को उद्यमिता के महत्व के बारे में जागरूक करना चाहता हूँ और उन्हें व्यापारी मानसिकता का परिचय देना चाहता हूँ। मेरी इच्छा है कि युवा नए व्यापार मॉडलों, तकनीकों, और स्थायित्व के साथ व्यापार की दुनिया में अपनी पहचान बनाएं।

भारतीय युवा में उद्यमिता और स्टार्टअप संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए जा सकते हैं?
शिक्षा और प्रशिक्षण: उद्यमिता को स्टिमुलेट करने के लिए, उच्च शिक्षा प्रणाली में उद्यमिता के पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पेशकश को बढ़ावा देना चाहिए। इससे छात्रों को व्यापार मानसिकता, नए विचारों का विकास और व्यवसाय के तत्वों की समझ मिलेगी।

इस अवसर पर यूनिवर्सिटी के वाइस चेयरपर्सन वरुण यादव, प्रो वाइस चांसलर, डॉ. वैभव श्रीवास्तव, रजिस्ट्रार डॉ. श्यामवीर सिंह, छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. संजय मिश्रा सहित बड़ी संख्या में एसकेडियन्स एवं स्टाफ मेंबर्स उपस्थित थे।

 

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