गुस्से में हैं बीकानेर के रंगकर्मी, बीकानेर से बाहर के नाटक देखेंगे तक नहीं, जिम्मेदार है राजस्थान संगीत नाटक अकादमी का भेदभाव वाला रवैया…

ऐसा क्या हो गया..रंगकर्मियों ने तय कर लिया कि राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की ओर से मंचित होने वाले बाहरी नाटक देखेंगे ही नहीं
देखिये कौन है ये रंगकर्मी: प्रदीप भटनागर, लक्ष्मीनारायण सोनी, अशोक जोशी, दयानंद शर्मा, जीतसिंह सहित बीसियों वरिष्ठ निर्देशक-रंगकर्मियों का सामूहिक निर्णय

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आरएनई, बीकानेर।
कहते हैं रंगकर्मी-कलाकार संवेदनशील और बड़े दिल वाले होते हैं। छोटी-छोटी बातों पर नाराज नहीं होते। किसी का विरोध नहीं करते। कभी किसी बात पर नाराज या गुस्सा भी हो तो संकेतों की भाषा में यानी अपनी कला और प्रतीकों से समझाते हैं। इन सबसे आगे बढ़कर जब उनका गुस्सा सार्वजनिक हो जाएं और वे किसी व्यक्ति, संस्था, संगठन के बहिष्कार या विरोध का सामूहिक निर्णय ले बैठें तो यह मान लेना चाहिए कि मामला गंभीर ही है।


ऐसा ही एक मामला शनिवार को बीकानेर में सामने आया है। यहां लगभग सभी वरिष्ठ रंगकर्मी-निर्देशक एक जाजम पर जुटे। लंबा विचार-विमर्श किया। विषय था राजस्थान की संगीत नाटक अकादमी की कार्यशैली का। जोधपुर मुख्यालय वाली इस अकादमी के कार्य-व्यवहार से रंगकर्मियों मे खासी नाराजगी दिखी। बात यहां तक पहुंच गई कि उन्होंने निर्णय ले लिया कि इस अकादमी की ओर से की जाने वाली मासिक नाट्य श्रृंखला में ऐसे किसी नाटक को देखेंगे तक नहीं जो बीकानेर से बाहर की कोई संस्था कर रही है।


ऐसा नहीं है कि यह निर्णय अति उत्साही या युवा रंगकर्मियों ने ही लिया है। इस निर्णय में सबसे आगे वे रंगकर्मी-निर्देशक हैं जिन्हें रंगकर्म करते हुए 40 से 50 साल हो गए हैं। इनमें वरिष्ठ रंगकर्मी निर्देशक प्रदीप भटनागर, लक्ष्मीनारायण सोनी, अशोक जोशी, दयानंद शर्मा, जीतसिंह आदि शामिल हैं।


इसकी वजह जाननी चाही तो रंगकर्मियों का दर्द, गुस्सा बनकर फूटता नजर आया (देखे वीडियों में)। पता चला कि राजस्थान संगीत नाटक अकादमी मासिक नाट्य श्रृंखला करवा रही है। बीकानेर में हर महीने नाटक हो रहे हैं। इनमें दूसरे शहरों-जिलों के रंगकर्मियों को ही नाटक करने का अवसर दिया जा रहा है। जानबूझकर बीकानेर को नजरअंदाज किया जा रहा है। ऐसे में विरोधस्वरूप बीकानेर के रंगकर्मियों ने इस श्रृंखला में मंचित होने वाले बाहर के सभी नाटकों का बहिष्कार किया है।

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