राजस्थान में अब श्रीकृष्ण बोर्ड: यादव समाज के प्रतिनिधियों की मांग पर घोषणा

जातियों को साधने के लिए लगातार बोर्ड बना रहे मुख्यमंत्री, कुछ और जातियों की तरफ से उठ रही मांग

डा.करणसिंह यादव के साथ मुख्यमंत्री निवास पर मिले थे यादव समाज के प्रतिनिधि

आरएनई, स्टेट ब्यूरो।

चुनाव से पहले घोषणाओं का अम्बार लगा रहे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जातिगत समीकरण अपने पक्ष में करने के लिए हर जाति के लिए कुछ करने की कोशिश करते दिख रहे हैं। इसके लिए सबसे आसान रास्ता निकाला है-बोर्ड का गठन। इसी कड़ी में अब यादव समाज के प्रतिनिधियों की मांग पर एक और बोर्ड की घोषणा की है। वह है-श्रीकृष्ण बोर्ड। राजस्थान में जहां इस बोर्ड को बनाने की घोषणा कर दी वहीं केन्द्र को निशाने पर लेने के लिए सेना में अहीर रेजीमेंट गठन की मांग भी उठा दी।
पूर्व सांसद डा.करणसिंह यादव के साथ मुख्यमंत्री निवास पर यादव समाज का प्रतिनिधि मंडल मिला था। इस दौरान यह घोषणा की गई।

सोशल इंजीनियरिंग के लिए अब तक बनाए गए बोर्ड :

हालांकि सोशल इंजीनियरिंग के लिहाज से अब तक कई सरकारों ने अलग-अलग बोर्ड बनाए हैं लेकिन इन सबमें अशोक गहलोत बहुत आगे निकल गए हैं। जातिगत आधार पर अब तक बनाए गए ये बोर्ड:-
विप्र कल्याण बोर्ड, ज्योति बा फुले बोर्ड, देव नारायण बोर्ड, रजक (धोबी) वेलफेयर बोर्ड, केश कला बोर्ड, लेदर क्राफ्ट डवलपमेंट बोर्ड, वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप बोर्ड, माटी कला बोर्ड, स्वर्ण रजत कला विकास बोर्ड आदि।

ये सामाजिक प्रतिनिधि रहे मौजूद :

पूर्व सांसद डॉ. करण सिंह यादव ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा समाज के विद्यार्थियों हेतु छात्रावास के लिए निःशुल्क जमीन आवंटित की गई। आज इन छात्रावासों में विद्यार्थी अध्ययन कर अपने उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर रहे हैं। इस अवसर पर विधायक संदीप यादव, बलजीत यादव, यादव जनजाग्रति से भारत यादव एवं मंजू यादव, हरसहाय यादव, महेन्द्र यादव, ललित यादव सहित बड़ी संख्या में प्रतिनिधिमंडल के सदस्य उपस्थित थे।

पीपा क्षत्रिय समाज भी उठा रहा मांग:
पीपा क्षत्रिय समाज के प्रतिनिधियों ने सिलाई कला बोर्ड बनाने की मांग उठाई है। समाज से जुड़े सीताराम कच्छावा कहते हैं, इसके लिए कला-संस्कृति मंत्री बी.डी.कल्ला से लेकर मुख्यमंत्री गहलोत तक से आग्रह कर चुके हैं। यह समाज पीढ़ियों से एक ही काम कर रहा है। ऐसे में इसके विकास और उत्थान के लिए सरकारी प्रोत्साहन की अत्यधिक जरूरत है। इसी तरह काष्ठ कला बोर्ड के गठन की मांग भी उठाई जा रही है।

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