सीएम गहलोत को चोट लगने पर राज्यपाल मिश्र चिंतित, फोन कर हाल पूछा

शासन संभालने के साथ ही पार्टी में मची उथल-पुथल पर रखनी होगी नजर
आरएनई, स्टेट ब्यूरो।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चोट लगने और पांव के अंगूठे में फ्रेक्चर हो जाने पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने चिंता जताई है। राज्यपाल ने फोन कर मुख्यमंत्री के हालचाल जाने। घटना का ब्यौरा लिया और जल्द स्वस्थ होने की कामना की।
मुख्यमंत्री गहलोत गुरूवार को घर में ही गिर गए थे। इससे इनके दोनों पांवों में चोट आई है। एक पैर के अंगूठे का नाखून उतर गया है वहीं दूसरे पैर की अंगूठे में फ्रेक्चर हुआ है। जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में उपचार के बाद गुरूवार देर शाम उन्हें छुट्टी दे दी गई। कुछ दिन व्हील चेयर पर रहने और आराम करने की सलाह दी गई है। मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा भी है कि वे अब कुछ दिन घर से ही काम करेंगे।

इधर कांग्रेस में मची है उथल-पुथल :

अशोक गहलोत के लिए यह समय अब बड़ी चुनौती वाला हो गया है। घर पर रहते हुए अपने स्वास्थ्य की देखभाल करने के साथ ही शासन-व्यवस्था तो संभालनी ही है पार्टी मे मची उथल-पुथल को भी अपने लिहाज से नियंत्रित करना है। पार्टी हाईकमान दो दिन से दिल्ली में मीटिंग कर रहा है। पायलट को खुश करने के कई फार्मूले भी लाए जा रहे हैं। प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा, संगठन महासचिव के.सी.वेणुगोपाल के साथ राजस्थान के नेताओं की मीटिंगें चल रही हैं।

संगठन में होगा बदलाव, अपनों की जगह बचाना प्राथमिकता :

मुख्यमंत्री के लिए अब बड़ी चिंता संगठन में होने वाले बदलाव के बीच ‘अपनों‘ की जगह बचाए रखना और बड़े पदों पर पायलट समर्थकों को आने से रोकना है। चुनाव से पहले कमान भी खुद के हाथ में रखनी है।

ब्रेन स्टोर्मिंग कैंप : दो दिन सभी विधायक-हारे हुए प्रत्याशी सालासर में जुटेंगे :

कल यानी एक जुलाई से दो दिन तक कांग्रेस के सभी विधायक और हारे हुए प्रत्याशी यानी पिछले चुनाव के 200 कैंडीडेट ओर पार्टी के प्रमुख अधिकारी दो दिन के ब्रेन स्टोर्मिंग कैंप या चिंतन शिविर में शामिल होंगे। कहने को इसका मकसद यह होगा कि सभी बातों को भूलकर पार्टी एकजुट हो चुनाव मैदान में जाएं।
वास्तविकता यह है कि यहां विधायकों सहित हारे हुए प्रत्याशियों का दर्द, गुस्सा, असंतोष भी समाने आएगा। ऐसे में कैंप में नहीं रहते हुए घर से ही इन्हें अपने समर्थकों के जरिये मैनेज करने की कला अशोक गहलोत बखूबी जानते हैं।

पार्टी पर रहेगा दबाव :

चिंतन शिविर में शामिल न होने से अशोक गहलोत विधायकों-पार्टी पदाधिकारियों की नाराजगी से सीधे रूबरू होने से बच जाएंगे वहीं यहां होने वाले निर्णय के प्रति पार्टी आलाकमान और पदाधिकारियों में एक तरह का दबाव भी रहेगा। वजह, जो निर्णय या प्रस्ताव लिए जाते हैं उनमें गहलोत की प्रत्यक्ष भागीदारी नहीं होगी। ऐसे में इन्हें बाद में सलाह-मशविरा के नाम पर आसानी से उनकी इच्छा के मुताबिक बदला या तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है।

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