पाटापच्ची : ओएसडी व मंत्री आमने – सामने

आरएनई, बीकानेर।
शहर के पाटों पर इन दिनों सीएम के ओएसडी चर्चा में छाये हैं। पाटेबाज उनको लेकर खूब चटकारे ले रहे हैं। दरअसल पाटा गजट के अनुसार उनके चुनाव लड़ने की हामी वाले बयान से खूब कयास लगाये जा रहे हैं। उन्होंने कह दिया कि मुझे शहर की गलियां बहुत भाती है। बस फिर क्या था, मंत्री जी के सामने उनके टिकट मांगने के चर्चे शुरू हो गये। मंत्री जी तक ने बयान दे दिया कि चुनाव तो मैं ही लड़ूंगा। पाटेबाज मान रहे हैं कि मंत्री व ओएसडी आमने सामने हो लिए हैं। अब हरेक अपने पूर्वाग्रह से इनमें से किसी के पक्ष तो किसी के विपक्ष में तर्क दे बरसात की बूंदों के बीच माहौल को गर्म कर रहा है। पाटों के शहर में चर्चा तभी थमेगी जब टिकट तय हो जायेगा।

‘पाटापच्ची’ यहां तक पहुंच रही है कि कई बार आधी रात को ज्योतिषियों को घर से बुलाया जाता है। कुंडलियां बनती हैं। ग्रहयोग देखे जाते हैं। बहस इतनी बढ़ जाती है कि लगता है अब आर-पार की लड़ाई होगी। इसी बीच कोई आधी रात को बारहगुवाड़ से कचौड़ी ले आता है और निष्कर्ष निकलता है- कोई लड़ौ नीं, आपां नै कांईं, कचौळ्यों खाओ, तरी लो।

शहर भाजपा में कौन पायेगा पद !

शहर भाजपा को तो बदल दिया गया मगर संगठन की कार्यकारिणी अब भी वही है। हां, उसमें से कुछ सक्रिय है और कुछ स्वतः निष्क्रिय हो गये हैं। सबसे ज्यादा ब्लडप्रेशर उनका बढ़ा हुआ है जो पद के लिए पिछली कार्यकारिणी गठन के समय से व्याकुल है। कुछ को पद की उम्मीद है तो कुछ हाथ पांव मार रहे हैं। कोई अब हर कार्यक्रम में दिख रहा है तो कोई दिल्ली वाले मंत्री जी से समर्थन चाह रहा है। मजा तो प्रदेश भाजपा के है, अध्यक्ष बना दिया मगर उसको अभी तक उसकी टीम नहीं दी है। तालमेल इसी कारण सही नहीं बैठ रहा। पाटे अपनी तरफ से जरूर लोगों को पद बांट रहे हैं।

चलो देहात की तरफ

जो आदतन संगठन में पद के लिए जुगाड़ करते रहे हैं उनके सामने शहर में इस बार दिक्कत आ रही है। क्योंकि नये अध्यक्ष से समीकरण पहले सही नहीं रहे। अब पद पर रहने की आदत है, उसे कैसे छोड़े। तो इसीलिए शहर की उम्मीद छोड़ कईयों ने अब देहात की तरफ रुख कर लिया है। अब आदत है पुरानी, तो छोड़े कैसे। पाटे इन लोगों की आदत पर खूब किस्से गढ़ रहे हैं।

डॉक्टर फिर लाइम लाइट में

खाजूवाला वाले डॉक्टर साहब पिछले चुनाव में हार गये थे। तब से छुईमुई थे। कभी दिखते, कभी ओझल रहते। वहां के मंत्री जी फोरम में थे। वहीं उनकी दिल्ली वाले मंत्री से कम बनती है, क्योंकि वे अलग गुट के माने जाते हैं। भले ही वे कहें कि पार्टी का हूं, मगर लोग टेग लगा ही देते हैं। खाजूवाला में दलित महिला के साथ रेप हुआ व मर्डर हुआ। सबसे पहले डॉक्टर साब मैदान में उतरे। बस, अचानक से लाइम लाइट में आ गये। अब कब तक इस फुर्ती को बरकरार रखते हैं, ये देखने की बात है। पाटे अब खाजूवाला की घटना पर भी वोकल है।

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