सरकारी घर खाली करण रो मतलब हार सूं डरणों तो कोयनी ?

बारिश से गीले हुए पाटे के एक कोने को गमछे से पोंछते लोरिया महाराज ने ‘चासा‘ लिया-कांई कैग्या मोदीजी। जवाब तय था-‘थां नै किसी ठा कोनी। म्हांरा मूंढा खुलवावणा जरूरी है काईं?‘ बस, बात चल पड़ी और अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेस वे की तरह लंबी, सर्पीली होती हुई, नजरअंदाज किए गए कोटगेट रेलवे क्रॉसिंग के जाम-सी एक मुद्दे पर ठहर गई। मुद्दा था- आखिर मोदीजी ‘साब‘ रै लारै क्यों पड़्या है? सरकारी घर खाली कर आपरै घर में रैवणों मतलब हार सूं डरणों तो कोयनी? जवाबी वार-मास्टरां री बात भी करी ही। भरी सभा में कैयो कि मास्टर पईसा ले‘र ट्रांसफर करण री शिकायतां मुख्यमंत्री ने करै है? अब जवाब में आवेश-सफा कूड़ी बात है। ई वास्ते तो इयांनै फेकू कैवे। सगळा जाणै के आंपोरो साब केई सूं ई रूपियों ई को लेवेनी। अे साब रे लारै ई पड्योड़ा है। थां नै ठा कोयनी कांई लारलै चुनाव में ‘भारत माता‘ आळी बात। अब खींचतान परवान पर देख कर एक सयाने ने विषय बदला-वसुंधरा में किसी‘क करी।

पश्चिम में तो एक अनार सो बीमार

भाजपा और कांग्रेस ने भले ही अभी तक अगले चुनाव के लिए टिकटों की कवायद शुरू न की हो, मगर शहर के पाटों ने अपनी स्क्रीनिंग कमेटी बनाकर टिकटों पर माथापच्ची आरम्भ कर दी है। पाटे सबसे ज्यादा चर्चा बीकानेर पश्चिम सीट पर करते नजर आ रहे हैं। स्क्रीनिंग कमेटी लाख तरीकों से स्क्रिनिंग करने के बाद इस नतीजे पर पहुंची है कि यहां तो एक अनार सो बीमार की हालत है। हर तीसरा नेता अपना टिकट तय मान रहा है। मिलेगा तो एक को, बाकी कहीं उसकी लुटिया डुबोने में न लग जाये। पाटे डुबोने की बात पर जरूर बहुमत में है।

ओएसडी तो थम ही नहीं रहे

राज्य के काबीना मंत्री जी के सामने ताल ठोक रहे ओएसडी महोदय तो मंत्री जी के तल्ख बयान के बाद भी रुक नहीं रहे। महादेव भक्त मंत्री जी सावन में पूरा पालन करते हैं। शेव न बनवाना, अभिषेक करना, सात्त्विक रहना, व्रत करना। उनका ये काम हर शहरवासी जानता है। बस, इस बात को भी ओएसडी ने पकड़ लिया। ट्विटर पर उनकी अमरनाथ के दर्शन पर जाने की फोटो खूब वायरल हो रही है। मंत्री जी शिव भक्त तो ओएसडी भी शिव भक्त। पाटे इस स्पर्धा का खूब मजा ले रहे हैं।


भीड़ का जुगाड़ दावेदारों से

पीएम की नोरंगदेसर रैली में भीड़ जुटाने के लिए इस बार तो प्रदेश के नेताओं ने टिकट के दावेदारों का जमकर उपयोग किया। इनसे ही पूरे शहर में होर्डिंग लगवाये गये। भीड़ लाने का भार डाला गया। टिकट की आस में न करते तो क्या करते। अखबारों में विज्ञापन भी इनसे ही लगवाये। अब टिकट की लड़ाई में ये नेता किस से किया वादा पूरा करेंगे, पाटे इसको लेकर हंसी ठट्ठा कर रहे है। क्योंकि एक सीट पर पांच पांच को टिकट का लॉलीपॉप पकड़ाया है। अब स्वाद कोई छठा न ले जाये। इसको लेकर हर पाटेबाज ठहाका लगा रहा है।

अरे, चुनाव आ गया क्या

पाटे कई गुमनामी में समय काट रहे भाजपा व कांग्रेस के नेताओं को यकायक फील्ड में देखकर चकित है। हर रात इस पर बात करते हुए वे कहते हैं कि इनको देखकर लगता है, अब चुनाव निकट है। तभी तो नये कपड़े पहनकर ये भी उतर गये हैं मैदान में। इनमें कुछ जीते हुए तो कुछ हारे हुए नेता भी शामिल है। कुछ शहर के है तो गांवों के भी। ये हर चुनाव लड़ना चाहते हैं। पर पाटे मानते हैं कि इस बार कईयों की दाल नहीं गलेगी। कुछ का पत्ता कटना तय है।


अबकी बाजी मारसी

कांग्रेस संगठन इस बार बीकानेर में बदल रहा है, ये बात शहर के पाटे मानते है। पाटों का मानना है कि बड़े नेताओं की पंचायती में इस बार संगठन में फेरबदल हो रहा है। पाटेबाज मानते हैं कि चलेगी तो एक नेता की जो चलाते आये हैं। इसीलिए संगठन इस बार बदल रहा है। पाटेबाज नाम तो नहीं बताते मगर अनेक नाम हवा में उछाल रहे हैं, जिनमें असल में बनने वाले भी शामिल है।

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