कांग्रेस बड़ी संख्या में बदलेगी टिकट, प्रभारी व सह प्रभारियों ने बनाई सूची, दिल्ली का भी दखल

भाजपा जहां चिंतन शिविर व बैठकें कर अपने को एक करने में लगी है, वहीं कांग्रेस एक होने का काम पूरा कर टिकट की कवायद में लग गई है। पिछले दिनों कांग्रेस के प्रदेश सह प्रभारियों ने अपने अपने अधीन के जिलों का दौरा किया था, उसी में ये काम भी किया गया। सीएम अपने स्तर पर पहले ये काम कर चुके है। 6 जुलाई की बैठक के बाद आलाकमान ने अपने स्तर पर हर सीट पर वर्किंग शुरू कर दी है। राज्य में पहली बार चुनाव तैयारी की रेस में कांग्रेस तेज चलती दिख रही है।


जबकि भाजपा ने कल ही रणथंभोर में दो दिन की चिंतन बैठक पूरी की है। जिसमें राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी एल संतोष ने भाग लिया और जीत का मंत्र दिया। इस बैठक में निर्णय हुआ है कि भाजपा अब परिवर्तन यात्राएं निकालेगी। इस बैठक में भी राज्य के नेताओं के मध्य दूरियां दिख रही थी। बैठक के बाद जब पीसी हुई तो पूर्व सीएम राजे उसमें नहीं थी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के भीतर अब भी सब थीक नहीं लग रहा। राजे को लेकर कुछ भी तय नहीं हो पा रहा। जबकि सचिन ने बयान देकर स्पष्ट कर दिया है कि एक होकर चुनाव लड़ा जायेगा।


बात कांग्रेस की, पार्टी ने राज्य की सीटों को तीन श्रेणियों में बांटा है और उसी के अनुसार काम शुरू किया है। आलाकमान ने पहले उन सीटों को छांटा है जहां वो पिछले दो चुनाव से लगातार हार रही है। इसमें भी उन सीटों पर खास जोर है जहां पहले कांग्रेस जीतती रही है मगर पिछले दो चुनावों से हार रही है। उन सीट पर नया और जिताऊ उम्मीदवार तलाशा जा रहा है। इन सीटों के लिए काम आलाकमान ने अपने हाथ में लिया है और गैर राजनीतिक लोगों से पूरा फीडबैक लिया है।

उस फीडबैक के आधार संभावित उम्मीदवारों से दिल्ली से ही बड़े नेता बात कर रहे हैं। आलाकमान को इस तरह की सीटों पर केवल जिताऊ उम्मीदवार चाहिये। भले ही गैर राजनीतिक चेहरा हो या फिर कहीं और सक्रिय हो। दूसरी श्रेणी उन सीटों की है जहां कांग्रेस कभी कभार ही जीत पाई है। इन सीटों पर चुनाव लड़ाने के लिए उम्मीदवारों की खोज प्रभारी, सीएम व वरिष्ठ नेता करने में लगे हैं।


कुल मिलाकर कांग्रेस अपने भीतर का झगड़ा खत्म करने के साथ ही चुनावी समर में राहुल, खड़गे व प्रियंका के निर्देशों के अनुसार उतर चुकी है। पिछली बार पूर्वी राजस्थान ने कांग्रेस का सबसे ज्यादा साथ दिया था, इसलिए यहां के किले को सुरक्षित करने का काम पायलट सहित बड़े नेता कर रहे हैं। मारवाड़ व मेवाड़ पिछली बार कमजोर रहे थे, वहां पूरी ताकत झोंकी जा रही है। कुल मिलाकर इस बार कांग्रेस चुनावी रेस में आज के दिन तक तो भाजपा से तेज दौड़ रही है।
मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘

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