यूआईटी पर धावा: महिलाओं सहित बड़ी संख्या में घुसे प्रदर्शनकारी, कर्मचारी-अधिकारी घबराए, पुलिस को बुलाया

मुद्दे कई है : पट्टा, अतिक्रमण तोड़ने में भेदभाव, नाली-सड़क खराब, बरसात में भरा पानी, जन-जीवन बेहाल

आरएनई, बीकानेर।
बीकानेर यूआईटी के अधिकारियों-कर्मचारियों सहित पूरा प्रशासन तब हतप्रभ रह गया जब सैकड़ों लोग अचानक ऑफिस में घुस गए। इनमें से अधिकांश महिलाएं थी। प्रशासन के खिलाफ नारे लगाते घुसे इन लोगों को देखकर यूआईटी अधिकारी एकबारगी यह समझ ही नहीं पाए कि आखिर मामला क्या है। बाद में शांत होने पर बातचीत में समझ आया कि ये सभी सर्वोदय बस्ती के लोग हैं। पट्टा नहीं मिलने से तो नाराज हैं ही, इसके अलावा भी सड़क, नाली, लाइट, बारिश के दौरान बंद पड़े नालों आदि की समस्या से परेशान हैं।

देखे वीडीयो:

पुलिस ने मोर्चा संभाला, बातचीत शुरू:
आक्रोशित लोगों की भीड़ के कारण हालात इतने बिगड़े कि नियंत्रित करने के लिए पुलिस को फोन करना पड़ा। पुलिस फोर्स पहुंचने के बाद सभी लोगों को बाहर किया। प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधि के तौर पर कुछ पार्षद और मौजीज लोग अधिकारियों से बात कर रहे हैं। बातचीत करने वालो में पार्षद जावेद पड़िहार, चेतना डोटासरा, विक्की चड्ढा, शिवशंकर बिस्सा, अब्दुल सत्तार आदि शामिल हैं।
बहुत आक्रोश है, मसले कई हैं:
बाहर खड़े प्रदर्शनकारियों में शामिल महिलाओं का कहना है, हमें पट्टे नहीं दे रहे हैं। दूसरी बोली, पूरी बस्ती में नालियां नहीं हैं। बरसात का पानी सड़क पर बह रहा है।
एक ने कहा, ये सभी छोटी बातें हैं, प्रशासन ने जरूरतमंद और गरीब लोगों के कब्जे तोड़ दिए लेकिन पॉवरफुल लोगों की बिल्डिंगें छोड़ दी। इन्होंने तो मदरसा तक तोड़ दिया, उसे भी नहीं छोड़ा। पहले कहा था, पट्टे दे देंगे। दिए ही नहीं। एक प्रदर्शनकारी तो इतनी आक्रोशित हुई कि रिपोर्टर से बोली, हमें यहां क्या पूछ रहे हो? हमारे हाल जानना है तो उस वक्त बस्ती में आओ जब बारिश हो रही हो? पूरा इलाका पानी से भर जाता है। बाद में कई दिन कीचड़ रहता है।
दर्द एक नहीं हैं:
ऐसे में कहा जा सकता है कि सर्वोदय बस्ती के इन प्रदर्शनकारियों का दर्द एक नहीं है। कई तकलीफें हैं। एक विभाग से भी नहीं हैं, कई विभागों से हैं। यह गुस्सा उसी दर्द से उपजा है।

 

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