हरीश चौधरी बने राहुल के दूत, अब सरकार व संगठन में बदलाव की तैयारी, वसुंधरा की भी हुंकार

राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ सीएम अशोक गहलोत व सचिन पायलट की बैठक होने से पहले हरीश चौधरी ने राज्य के बड़े बड़े कांग्रेस नेताओं के साथ अकेले में बैठक कर दिल्ली बैठक की भावभूमि तैयार की है। ताकि दिल्ली बैठक में समय नष्ट न हो और तुरत फुरत में निर्णय हो जाये। अब विधानसभा चुनाव में अधिक समय नहीं रहा है भाजपा के भीतर की कलह का कांग्रेस पूरा फायदा उठा सके, इसलिए जल्दबाजी हो रही है। भाजपा में सब ठीक नहीं है क्योंकि कल ही कोटा में बड़ी सभा करके वसुंधरा ने हुंकार भरी है। उनके साथ सांसद व विधायक भी थे, वहीं हाड़ौती तक के कुछ नेताओं ने इस आयोजन से दूरी रखी।


राहुल के विदेश से वापस आने के बाद से दिल्ली में कांग्रेस की गतिविधियां तेज हो गई है। राजस्थान पहली प्राथमिकता है। इसी कारण पहले संगठन महामंत्री वेणुगोपाल ने गहलोत, पायलट, रंधावा, डोटासरा से बात की। उसके बाद हरीश चौधरी को दिल्ली बुलाया गया, वे राहुल की टीम के सदस्य है। राहुल की कार में वे 45 मिनिट साथ रहे, आगे की रूपरेखा बनाई। राहुल से मिलकर चौधरी जयपुर लौट आये।


जयपुर में वे बहुत सक्रिय रहे। पहले उन्होंने पायलट से लंबी बैठक की। उसके बाद प्रताप सिंह खाचरियावास, परसादी लाल मीणा, रघु शर्मा आदि नेताओं से मिले। फिर चोटिल सीएम गहलोत से मिलने उनके निवास गये और डेढ़ घंटे बात की। अनेक विधायकों व मंत्रियों से भी चौधरी मिले।
जानकारों के अनुसार राज्य के कांग्रेस नेताओं से उन्होंने राहुल का दूत बनकर मुलाकात की है और अपना फीडबैक राहुल तक पहुंचाया है। राज्य के नेताओं को भी उन्होंने राहुल का संदेश बताया है। इस राजनीतिक घटनाक्रम से ये कयास लगाये जाने लगे कि चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा रहा है। कोई कह रहा था कि उनको मंत्रिमंडल में शामिल किया जा रहा है। पर चौधरी ने खुद एक चैनल को साक्षात्कार देकर स्पष्ट कर दिया कि इनमें से किसी भी पद का मैं दावेदार नहीं, न ऐसा कोई निर्णय हो रहा है। हालांकि लोग अब भी इस बात को मान नहीं रहे। मगर चौधरी ने एक बड़ी बात कही कि कांग्रेस में अब कोई गुटबाजी नहीं है और सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे। इस बयान के जरूर कई मायने है। चौधरी की गतिविधियों से साफ है कि जल्द ही राजस्थान में कांग्रेस सरकार व संगठन में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।


दूसरी तरफ भाजपा लगातार छिपाने की लाख कोशिशों के बाद भी अपनी भीतरी कलह छिपा नहीं पा रही। पहले बाबूसिंह के हाथ से माइक छीनना फिर उदयपुर में वसुंधरा को शाह के हस्तक्षेप के बाद बोलने का कहना पार्टी के भीतर की कलह को दर्शाता है। कल वसुंधरा ने कोटा में बड़ी सभा करके फिर भीतर की स्थिति को चौड़े ला दिया। कई नेता शामिल हुए तो कई दूर रहे। भाजपा और कांग्रेस में से जो अपने भीतर की हालत जल्दी सुधारेगा, वहीं आगे रहेगा।
मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘

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