नोखा में झंवर सड़क पर: पेट्रोल पंप से एसडीएम ऑफिस तक पैदल मार्च, मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया, अनशन की चेतावनी

सकेत: झंवर नोखा से ही चुनाव लड़ेंगे, डूडी अड़े तो कांग्रेस से समझौते की संभावना कम हुई

आरएनई,नोखा।
पूर्व संसदीय सचिव कन्हैयालाल झंवर एवं उनके पुत्र नगर पालिका अध्यक्ष नारायण झंवर ने सोमवार को नोखा में जन-समस्याओं पर प्रदर्शन कर एक तरह से अपने चुनावी संकेत दे दिए हैं। यह लगभग साफ कर दिया है कि झंवर अब बीकानेर पूर्व या किसी और सीट की तरफ देखने की बजाय नोखा से ही चुनाव लड़ेंगे। इसके साथ ही यह भी लगभग साफ हो गया है कि कांग्रेस से उनका समझौता होना अब काफी मुश्किल है। वजह, रामेश्वर डूडी नोखा से कांग्रेस प्रत्यशी के रूप में फिर चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर चुके हैं। डूडी कांग्रेस की चुनाव समिति के सदस्य भी हैं। ऐसे में उनके टिकट पर कोई संकट नहीं दिखता।

अभी प्रदर्शन की बात: बिजली की समस्याओं से जुड़ा 18 सूत्री मांग-पत्र दिया
पूर्व घोषणा के मुताबिक कन्हैयालाल झंवर, नारायण झंवर, उनके साथी पार्षद, जन-प्रतिनिधि और समर्थक नोखा के राजेन्द्र पंप पर जुटे। यहां से नारे लगाते हुए एसडीएम कार्यालय की ओर बढ़े। एसडीएम कार्यालय पहुंचकर यह पैदल मार्च एक सभा के रूप में बदल गया। यहां कन्हैयालाल झंवर और नारायण झंवर ने कार्यकर्ताओं से कहा-नोखा की समस्याओं का समाधान करवाने पीछे नहीं रहेंगे। एक-एक मसले पर जी-जान से काम करेंगे। इस मौके पर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देने भी गए। उपखंड अधिकारी मौजूद नहीं थे। ऐसे में तहसीलदार नरेन्द्र बापेडिया को 18 सूत्री मांग पत्र सौंपा।


ये हैं मांगे, और आमरण अनशन की चेतावनी:
मुख्यमंत्री के नाम दिए ज्ञापन में लगभग सभी मांगें बिजली से जुड़ी है। इसमें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों की समस्याएं है। खासतौर पर बिजली कनेक्शन समय पर देने, अघोषित कटौती बंद करने, फाल्ट निकालने वाली टीमों की संख्या बढ़ाने, कंट्रोल रूम की व्यवस्था सुधारने आदि मांगें प्रमुख हैं। झंवर ने चेतावनी दी है कि आठ अगस्त तक इन मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो आमरण अनशन करूंगा।

इसलिए झंवर के कदम पर रहती है नजर:
कन्हैयालाल झंवर के राजनीतिक कदम पर पूरे बीकानेर जिले में नजर रहती है। वजह, नोखा से पूर्व विधायक और गहलोत सरकार में संसदीच सचिव रहे कन्हैयालाल झंवर जिले में किसी भी सीट से चुनाव लड़ने की स्थिति में दिखते हैं। ऐसा वे कर भी चुके हैं। मसलन, नोखा से विधायक रहे। कोलायत से चुनाव लड़े और जीत के नजदीक तक पहुंच गए। बीकानेर पूर्व से भी पिछली चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा। ऐसे में अब कांग्रेस के साथ समझौता रहेगा या नहीं? चुनाव कहां से लड़ेंगे? ये सवाल लगातार उठते रहते हैं।

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